संगम नगरी प्रयागराज में सोमवार से उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में दस दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेले का आगाज हो गया. मेले की शुरुआत होते ही बड़ी संख्या में खरीददारों की भीड़ उमड़ पड़ी. जहां कपड़ों और हस्तशिल्प के आकर्षक स्टॉल लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं, वहीं खाने-पीने के स्टॉल भी खासे लोकप्रिय हो रहे हैं. आयोजन की खासियत यह है कि इस बार पूरा मेला प्लास्टिक फ्री रखा गया है.
देशभर की विविध हस्तकलाओं का संगम इस मेले में देखने को मिल रहा है. कर्नाटक का सिल्क सूट, मध्य प्रदेश की हैंड एंब्रायडरी, यूपी, झारखंड और बिहार के सिल्क वस्त्र और शॉल, जयपुरी रजाइयां, हैदराबाद के मशहूर मोती और पश्चिम बंगाल की धान-ज्वेलरी और स्टोन-ज्वेलरी लोगों को खूब आकर्षित कर रही हैं. राजस्थान की स्टोन कार्विंग, मोज़ाइक ग्लास, टेराकोटा बर्तन, मुरादाबाद के पीतल के उत्पाद, लकड़ी के खिलौने और भगवान की पोशाकें भी मेले की रौनक बढ़ा रही हैं.
इसके साथ ही पंजाब की फुलकारी और जूती, कई राज्यों के चर्म शिल्प, चटाई, ड्राई फ्लावर और चादरें भी खरीददारों को लुभा रही हैं. आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के उत्पाद भी इस बार विशेष आकर्षण बने हैं. मेले का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इस बार देश के आठ ऐसे शिल्पकार शामिल हुए हैं जिन्हें फुलकारी, बनारसी साड़ी, जामदानी और चिकनकारी जैसे उत्पादों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.
हस्तशिल्प को बढ़ावा देने और देश की विविध संस्कृतियों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से एनसीजेडसीसी हर साल यह मेला आयोजित करता है. एक दिसंबर से 10 दिसंबर तक चलने वाला यह 32वां राष्ट्रीय शिल्प मेला पूरी तरह पॉलिथीन फ्री है. कुल 20 राज्यों के शिल्पकारों ने अपने उत्पादों के 156 स्टाल लगाए हैं, जिनमें 129 उत्कृष्ट शिल्प उत्पादों के और 27 स्टाल पारंपरिक व जायकेदार व्यंजनों के हैं.
मेले में हर दिन रंगारंग सांस्कृतिक मंच भी सज रहा है, जहां देश के नामचीन और आंचलिक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं. खरीदारी के साथ-साथ लोगों को कला, संस्कृति और स्वाद का बेहतरीन संगम देखने को मिल रहा है. इस बार का राष्ट्रीय शिल्प मेला प्रयागराज में सांस्कृतिक उत्सव के रूप में खास चर्चा का विषय बना हुआ है.
-पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट