अल्मोड़ा: गांव के कच्चे रास्ते को पक्का कर महिला ग्राम प्रधान ने बदली सूरत, चेकडैम बनवाकर दूर की पानी की समस्या

अल्मोड़ा में एक गांव की महिला प्रधान अपने प्रयासों से बदलाव की कहानी लिख रही है. ग्राम प्रधान ने गांव के पगडण्डी कच्चे रास्ते को इतना सुंदर बनावाया है कि यह सोशल मीडिया में वायरल हो गया और उनकी जमकर तारीफ भी हुई.

Rekha Bisht
gnttv.com
  • अल्मोड़ा ,
  • 12 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:04 PM IST
  • रेखा बिष्ट ने फार्मेसी और एम ए तक पढ़ाई की है
  • अपनी शिक्षा को प्रयोग वह अपने गांव को विकसित करने में कर रही हैं

अल्मोड़ा में द्वारहाट के बड़ेत गांव की महिला ग्राम प्रधान ने अपनो कामों से सभी का दिल जीत लिया है. ग्राम प्रधान अपने विकास कार्यों की वजह से सोशल मीडिया पर भी मशहूर हो रही है. यह कहानी है ग्राम प्रधान रेखा बिष्ट की. 

कुछ समय पहले तक बड़ेत गांव की स्थिति भी कुछ ऐसी ही थी जैसी कि उत्तराखंड के दूसरे गांवों की. लेकिन फिर गांव की कमान संभाली पढ़ी-लिखी महिला ग्राम प्रधान रेखा ने. रेखा ने फार्मेसी और एम ए तक पढ़ाई की है. अपनी शिक्षा को प्रयोग वह अपने गांव को विकसित करने में कर रही हैं. 

गांव में बनावाई पक्की सड़क 
पद पर आते ही रेखा ने अपने किये वादों को पूरा करने की शुरुआत की. सबसे पहले गांव मे एक पैदल मार्ग को पक्का किया गया. ग्राम प्रधान रेखा बिष्ट जब प्रधान बनी तो उनके गांव को आने वाला रास्ता कच्चा था. जिसमें अक्सर स्कूल जाने वाले बच्चे व बूढ़े गिर जाते थे. 

रास्ते की प्राथमिकता को देखते हुए प्रधान ने ब्लॉक द्वारा मिले बजट से इस रास्ते को ऐसा संवारा की, यह अब अन्य ग्राम प्रधानों के लिए मिसाल बन गया है. सोशल मीडिया में प्रधान रेखा बिष्ट की तारीफ हो रही है. इसके साथ ही प्रधान ने जल संरक्षण का कार्य भी किया, ताकि गांव मे हर साल गर्मियों के मौसम में होने वाली पानी की समस्या को कम किया जा सकें. 

चेकडैम बनाकर सहेजा पानी
इस वर्ष मनरेगा के तहत उन्होंने अपने यहां चेकडैम बनवाया और मई और जून में भी इसमें पानी भरा है. इस चेकडैम से आस-पास के नौले धारे भी जीवित हैं. साथ ही 25 वर्षो से भी अधिक समय से टूटी नालियों का भी निर्माण करवाया गया. 

चेकडैम के पानी से अब यहां बंजर पड़े खेतों में जैविक खेती भी की जा रही है. ग्राम प्रधान रेखा बिष्ट का कहना है कि उनका लक्ष्य बड़ेत ग्राम को देश के चुनिंदा आदर्श ग्राम में शामिल करना है.

(संजय सिंह की रिपोर्ट)

 

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