क्या आपने कभी सोचा कि एक छोटी सी 100 रुपये की राखी किसी दिग्गज कंपनी को लाखों की मुसीबत में डाल सकती है? जी हां, मुंबई की एक महिला ने ऐसा कर दिखाया! Amazon, जो दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी है, को सिर्फ एक राखी न पहुंचाने की वजह से 40,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ा. और यह सब तब हुआ, जब कंपनी ने न सिर्फ ऑर्डर कैंसिल किया, बल्कि एक ऐसी कुरियर सर्विस को डिलीवरी सौंपी, जो सालों पहले बंद हो चुकी थी!
100 रुपये की राखी, 40,000 का जुर्माना
मुंबई की डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (DCDRC) ने हाल ही में Amazon को एक ऐसा सबक सिखाया, जो हर ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले के लिए मिसाल बन गया. बात 2019 की है, जब एक महिला ने अपने भतीजे के लिए Amazon से ‘मोटू पतलू किड्स राखी’ ऑर्डर की. कीमत? सिर्फ 100 रुपये! डिलीवरी का वादा था 8 से 13 अगस्त 2019 के बीच. लेकिन राखी का तो पता ही नहीं चला! और चौंकाने वाली बात? Amazon ने ऑर्डर ट्रैकिंग में दिखाया कि राखी 25 जुलाई को शिप हो चुकी थी, यानी ऑर्डर प्लेस करने से पहले! और वो भी एक ऐसी कुरियर कंपनी के जरिए, जो पहले ही बंद हो चुकी थी.
Amazon ने आखिरकार 14 अगस्त को ऑर्डर कैंसिल कर 100 रुपये रिफंड कर दिए. लेकिन क्या 100 रुपये की राखी का मोल सिर्फ पैसे से तय होता है? महिला के लिए ये राखी सिर्फ एक सामान नहीं, बल्कि अपने भतीजे के लिए प्यार और भावनाओं का प्रतीक थी. उसने Amazon की इस लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया और सीधे कंज्यूमर कोर्ट का रुख किया.
Amazon की लापरवाही का खुलासा
DCDRC ने इस मामले में Amazon की पोल खोल दी. कोर्ट ने पाया कि Amazon ने न तो राखी के 100 रुपये विक्रेता (धनश्री राखी) को दिए, न ही डिलीवरी सुनिश्चित की. कोर्ट ने साफ कहा, “Amazon एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, जो हर क्लिक पर कमाई करता है. उसका फर्ज था कि वह विक्रेता की विश्वसनीयता जांचे. ऐसा न करना सेवा में कमी और अनुचित व्यापार प्रथा है.”
कोर्ट ने यह भी बताया कि Amazon ने खुद ऑर्डर लिया और रिफंड किया, यानी वह सिर्फ बिचौलिया नहीं, बल्कि लेनदेन की पूरी जिम्मेदारी उसकी थी. फिर भी, कंपनी ने महिला को सिर्फ 100 रुपये लौटाकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की. लेकिन कोर्ट ने Amazon को सबक सिखाते हुए 30,000 रुपये हर्जाना और 10,000 रुपये कानूनी खर्च के तौर पर देने का आदेश दिया. अगर 60 दिन में भुगतान नहीं हुआ, तो 6% सालाना ब्याज भी देना होगा!
महिला की जिद और कोर्ट का फैसला
महिला ने कोर्ट में 4.5 लाख रुपये के हर्जाने की मांग की थी. उसका कहना था कि राखी न पहुंचने से उसे और उसके परिवार को गहरी भावनात्मक ठेस पहुंची. लेकिन कोर्ट ने इसे थोड़ा अतिशयोक्ति माना. कोर्ट ने कहा, “राखी कोई ऐसी चीज नहीं, जो बाजार में उपलब्ध न हो. लेकिन Amazon की सेवा में कमी सिद्ध हुई, इसलिए उचित हर्जाना देना होगा.” इसीलिए 4.5 लाख की जगह 40,000 रुपये का हर्जाना तय किया गया.
इस मामले की अध्यक्षता कर रही DCDRC की प्रेसिडेंट सामिंदरा आर. सुर्वे और मेंबर समीर एस. कांबले ने साफ किया कि Amazon की लापरवाही छोटी नहीं थी. कंपनी ने न सिर्फ डिलीवरी में गड़बड़ी की, बल्कि एक बंद कुरियर सर्विस को ऑर्डर सौंपकर ग्राहक के भरोसे को तोड़ा.
Amazon की दलील
Amazon ने कोर्ट में दलील दी कि वह सिर्फ एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस है, और थर्ड-पार्टी विक्रेताओं की जिम्मेदारी उसकी नहीं. लेकिन कोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा, “Amazon ने ऑर्डर लिया, पैसे रखे, और रिफंड भी किया. इसका मतलब है कि वह सिर्फ बिचौलिया नहीं, बल्कि पूरी प्रक्रिया का जिम्मेदार है.”
इसके अलावा, महिला ने बताया कि उसने सोशल मीडिया पर ऐसी ही कई शिकायतें देखीं, जहां Amazon ने ग्राहकों को निराश किया. उसने कंपनी को लीगल नोटिस भी भेजा था, लेकिन जवाब न मिलने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.