चंडीगढ़ में तैयार किया गया शानदार Bonsai गार्डन, यहां देखने को मिलेंगी 74 पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियां

चंडीगढ़ के वन विभाग और वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट के चीफ कंजरवेटर देवेंद्र दलाई ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में बताया कि इन छोटे बोने पेड़ों को उगाने का मकसद लोगों को प्रकृति के और करीब लाना है क्योंकि जो लोग शहर में रहते हैं, जमीन नहीं होने के कारण वह इन पेड़ों को अपने घरों में नहीं उगा पाते.

BONSAI GARDEN
ललित शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 24 मई 2023,
  • अपडेटेड 6:11 PM IST

जो लोग पेड़ों से प्यार करते हैं लेकिन उनके पास उन्हें उगाने के लिए जगह नहीं है तो ये खबर उन लोगों के लिए ही है. चंडीगढ़ के बोटैनिकल गार्डन में बोनसाई वर्ल्ड यानी कि बौने पेड़ों को उगाया गया है और साथ में जो लोग इसे उगाना सीखना चाहते हैं उन्हें यह सिखाया भी जाएगा. यहां पर उगाए गए पीपल के पेड़ की उम्र  लगभग 40 साल है. इसे बोनसाई तकनीक से तैयार किया गया है, जिसमें पेड़ों की जड़ों और तने की प्रुनिंग करके उन्हें बौने आकर में उगाया जाता है. चंडीगढ़ के बोटैनिकल गार्डन में लगभग 74 पेड़ों की अलग-अलग प्रजातियों को इस तरह से छोटे आकार में एक गमले में उगाया गया है.

घरों में डेकोरेशन के लिए होता है इस्तेमाल

चंडीगढ़ के वन विभाग और वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट के चीफ कंजरवेटर देवेंद्र दलाई ने इंडिया टुडे से खास बातचीत में बताया कि इन छोटे बोने पेड़ों को उगाने का मकसद लोगों को प्रकृति के और करीब लाना है क्योंकि जो लोग शहर में रहते हैं, जमीन नहीं होने के कारण वह इन पेड़ों को अपने घरों में नहीं उगा पाते. अब आसानी से इस तकनीक के जरिए इन पेड़ों को अपने घरों में डेकोरेशन के लिए उपयोग में ला सकते हैं.

देवेंद्र दलाई ने बताया कि क्योंकि यह पेड़ छोटे होते हैं तो इसमें जो भी फूल पत्ते और फल उगते हैं उनका साइज भी छोटा हो जाता है. इन पेड़ों को उगाने का मकसद सिर्फ यही है कि इन्हें आप डेकोरेशन के तौर पर उपयोग में ला सकते हैं. देवेंद्र दलाई ने बताया कि बोटैनिकल गार्डन में पीपल, नीम, आम इमली, बरगद जैसे लगभग 74 अलग-अलग प्रजातियां हैं जिन्हें बौने आकार में उगाया गया है. 

क्या है बोनसाई

बोनसाई पेड़ का बेहद छोटा रूप होता है. ये जापान से जुड़ा हुआ है लेकिन इसकी उत्पत्ति चीन में हुई है. यह कई तकनीकों का उपयोग करके बनाए गए बड़े पेड़ों का बौना रूप है. इस तकनीक में हैवी क्राउन प्रूनिंग, रूट प्रूनिंग और वायरिंग शामिल हैं. घर पर बोनसाई रखने से वातावरण ठंडा रहता है.

 

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