खुद के पैसे खर्च करके अब तक 650 पेड़ों को नई जिंदगी दे चुके हैं राहुल महाजन, लोग बुलाते हैं ट्री-मैन

आज के दौर में लोग अपने लिए तो बहुत कुछ करते हैं, लेकिन दूसरों या फिर समाज के लिए बहुत कम लोग ही हैं, जो हकीकत में कुछ करते हैं. जी हां, कुछ ऐसी ही स्टोरी है चंडीगढ़ में रहने वाले 52 साल के राहुल महाजन की. जिन्हें लोग ट्री-मैन के नाम से भी जानते हैं.

Chandigarh Tree Man Rahul Mahajan
ललित शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 27 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST
  • पुराने पेड़ के री-ट्रांसप्लांट पर 10 से 15 हजार का आता है खर्च
  • हर साल 2 हजार से अधिक पौधे अलग-अलग जगहों पर लगाते हैं

चंडीगढ़ में रहने वाले 52 साल के राहुल महाजन की स्टोरी अपने आप में अनोखी है. उन्हें लोग ट्री-मैन के नाम से भी जानते हैं. वह पुराने पेड़ों को नई जिंदगी देते हैं और लगभग 8 सालों में 650 पेड़ों को रीलोकेट और ट्रांसप्लांट कर चुके हैं. राहुल महाजन का सिर्फ यही मानना है कि हमें आज अपने लिए नहीं बल्कि बच्चों के अच्छे भविष्य और समाज के लिए कुछ करना चाहिए. इसी मूल मंत्र के साथ पर्यावरण प्रेमी राहुल महाजन पुराने पेड़ों को नई जिंदगी देते हैं और उन्हें मरने, काटने से बचाते हैं.

इस घटना के बाद राहुल के मन में आया ख्याल

राहुल महाजन बताते हैं कि करीबन 8 साल पहले चंडीगढ़ के सेक्टर 8 में उन्होंने एक पेड़ को बरसात के कारण सड़क पर गिरता देखा था, तभी मन मैं ख्याल आया था कि इस पेड़ को बचाया जा सकता है. आसपास के लोग पहले ही उस पेड़ की टहनियां काट के ले जा चुके थे.

किसी दूसरी जगह ले जाकर पेड़ को बचाना कोई आसान काम नहीं था और और लोगों ने मजाक भी उड़ाया. लेकिन राहुल ने क्रेन की मदद से उस पेड़ को सेक्टर 8 से चंडीगढ़ के सेक्टर 26 के चौक पर रीलोकेट करके  ट्रांसप्लांट कर दिया. आज लगभग 8 साल हो चुके हैं, वह पेड़ बिल्कुल हरा भरा और पूरी तरह से स्वस्थ है. राहुल बताते हैं कि उस पेड़ को रीलोकेट करने के 1 महीने के बाद जब पहले उस में कुछ नए पत्ते आए. उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और बस फिर उसके बाद क्या था कहीं भी जहां पर Development यानि विकास के नाम पर या कहीं सड़क को चौड़ा यानि Wide करना हो, या सरकारी बिल्डिंग के निर्माण में पेड़ कट रहे हों. उन तमाम बड़े पेड़ों को राहुल बिना सरकारी मदद के अपने खर्चे पर एक जगह से दूसरी जगह पेड़ों को रीलोकेट कर ट्रांसप्लांट कर रहे हैं.

650 पेड़ों को नई जिंदगी दे चुके हैं राहुल

राहुल ने आजतक से खास बातचीत में बताया कि पिछले 8 सालों में चंडीगढ़, पंजाब औऱ हरियाणा के अलग-अलग जिलों में अभी तक वह करीबन 650 पेड़ों को नई जिंदगी दे चुके हैं. शहर में 60 से 100 साल तक के पुराने पेड़ों को बचाना अब तो मानो राहुल की जिंदगी का मिशन बन चुका है.

85 फीसदी पेड़ हरे-भरे हैं

राहुल बताते हैं कि उनके द्वारा री-ट्रांसप्लांट किए गए 85 फीसदी पेड़ हरे-भरे हैं और वो हर साल 2 हजार से अधिक पौधे शहर के विभिन्न स्कूल, कॉलेज और अन्य सेक्टरों में लगाते हैं. इस अभियान में लोग भी इनका पूरा सहयोग देते हैं. वह बताते हैं कि शहर में पीपल, बड़, आम, नीम आदि के पौधे लगाने पर अधिक फोकस रहता है. इन्हें अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती है.

राहुल बताते हैं कि एक पुराने पेड़ के री-ट्रांसप्लांट पर 10 से 15 हजार का खर्च आता है, लेकिन राहुल खुद ही सारा खर्च उठाते हैं. री-ट्रांसप्लांट किए जाने वाले पेड़ को 3 से 4 महीने तक देखरेख की अधिक जरूरत होती है. 

Read more!

RECOMMENDED