अगर आप पढ़े-लिखे हों और अच्छे-खासे परिवार से ताल्लुक हों, तो क्या आप ऐसी जिंदगी गुजारना चाहेंगे जिसमें हर चीज के लिए स्ट्रगल करना पड़े? यकीनन नहीं. लेकिन चीन का एक शख्स सारी सुख-सुविधाएं छोड़कर फरीक बन चुका है. 32 साल का ये शख्स अब सिर्फ 100 युआन (करीब 14 डॉलर यानी 1200 रुपये) महीने में गुजारा करता है. उसकी यह अनोखी जिंदगी अब चर्चा में है.
पढ़ा लिखा है फिर भी सड़कों पर गुजार रहा जिंदगी
इस शख्स का नाम झाओ डियन है. शंघाई में बचपन बिताने के बाद वो 10 साल की उम्र में न्यूजीलैंड चला गया. इसके बाद सिडनी, न्यूयॉर्क, बीजिंग और पेरिस जैसे बड़े शहरों में रहा. उसने फाइनेंस में दो बैचलर और तीन मास्टर डिग्रियां हासिल कीं. पढ़ाई में हमेशा टॉपर रहा, लेकिन माता-पिता का दबाव उसके लिए बोझ बन गया. झाओ का कहना है कि “मेरी पढ़ाई और डिग्रियां मेरे लिए बेड़ियां साबित हुईं.”
अकेलापन के शिकार हुए झाओ
झाओ का कहना है कि बचपन में उनके पिता ने सिर्फ लेफ्ट हैंड से लिखने की वजह से उन्हें मारा-पीटा. मां भी उनकी मुश्किलों को नहीं समझ पाती थीं. विदेश में रहते हुए उन्होंने गहरा अकेलापन महसूस किया. पेरिस में एक चीनी रेस्टोरेंट में काम करते वक्त उसे पहली बार छोटे-छोटे कामों से खुशी मिली. झाओ ने सोचा- “जब बर्तन धोने से भी सुकून मिलता है, तो फिर आदर्श नौकरी का इंतजार क्यों करना?”
चीन लौटकर चुनी बेघर जिंदगी
2023 में झाओ चीन लौटा. पहले उसने होटल और बीयर फेस्टिवल में वेटर की नौकरी की. फिर युन्नान के दाली शहर पहुंचकर बेघर की जिंदगी अपना ली. वो सुबह 7 बजे उठता है और रात 9 बजे सो जाता है. कभी-कभी हॉस्टल में नहा लेता है, होटल से कपड़े धुलवा लेता है और ज्यादातर फ्री वेजिटेरियन रेस्टोरेंट से खाना खाकर दिन गुजारता है.
100 युआन में गुजारा, किताबें हैं साथी
झाओ के पास करीब 2,500 युआन की बचत है. वो सेकंड-हैंड कपड़े पहनता है और उसके पास एक ई-रीडर है, जिससे पढ़ने-लिखने और सीखने का शौक पूरा करता है. वो बुक क्लब चलाता है और ऑनलाइन काउंसलिंग वीडियो भी शेयर करता है. माता-पिता से उसके सारे रिश्ते टूट चुके हैं.
निजी जिंदगी और बेटी से संपर्क
झाओ अब तक 9 रिश्तों में रह चुका है. न्यूयॉर्क में उसकी एक पार्टनर से 10 साल की बेटी भी है. दोनों ऑनलाइन बात करते हैं.
झाओ मानता है कि उसे नजदीकी रिश्तों की तलाश है, लेकिन पारंपरिक परिवार की परिभाषा में वो फिट नहीं बैठता.
कम खर्च वाली जिंदगी में ज्यादा सुकून
झाओ का कहना है कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था बच्चों को उलझा देती है. इसलिए उसने एक प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके जरिए बच्चे अलग-अलग करियर अनुभव लेकर अपनी असली रुचि पहचान सकें. उसका मानना है कि कम खर्च वाली जिंदगी ने उसे ज्यादा सुकून दिया है.