हम अक्सर नाखून काटकर फेंक देते हैं. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये किसी दिन काम आ सकते हैं लेकिन चीन की एक महिला ने बचपन से ही नाखून काटकर संभालकर रखने की आदत डाली और अब वही नाखून उसकी कमाई का जरिया बन गए हैं. सुनने में बेशक ये खबर आपको हैरानी भरी लग सकती है लेकिन सच है.
चीन के हेबेई प्रांत की यह महिला अपने नाखून 150 युआन (करीब 1,750 रुपए) प्रति किलो के हिसाब से बेच रही है. हैरानी की बात यह है कि इन नाखूनों का इस्तेमाल पारंपरिक चीनी चिकित्सा यानी ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन (TCM) में दवाओं के रूप में किया जाता है.
क्यों खरीदे जाते हैं नाखून?
टीसीएम में इंसानी नाखून को 'जिन तुई' कहा जाता है. माना जाता है कि यह शरीर की गर्मी और टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करते हैं. पुराने ग्रंथों में यह भी लिखा है कि नाखून से बने नुस्खे घाव भरने और बच्चों के पेट फूलने जैसी समस्या में असरदार होते हैं.
चीन के तांग वंश (581-682) के मशहूर डॉक्टर सुन सिमियाओ की किताब कियानजिन याओफांग (Essential Formulas Worth a Thousand in Gold for Emergencies) में भी बच्चों की पेट से जुड़ी समस्या दूर करने के लिए नाखूनों का जिक्र मिलता है. उस दौर में मां के दूध में नाखून की राख मिलाकर बच्चों को पिलाया जाता था.
पहले भी होता था इस्तेमाल, अब कम हो गया
पेकिंग यूनिवर्सिटी थर्ड हॉस्पिटल के सीनियर टीसीएम डॉक्टर हे लान बताते हैं कि 1960 के दशक तक नाखूनों को अस्पतालों में दवा के रूप में लिखा जाता था. बाद में जब दूसरे हर्बल और प्राकृतिक विकल्प मिलने लगे तो नाखून का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम हो गया.
दरअसल, नाखून आसानी से इकट्ठा भी नहीं होते. एक इंसान सालभर में सिर्फ 100 ग्राम के आसपास ही नाखून बढ़ाता है. यही वजह है कि बड़ी मात्रा में इन्हें जुटाना मुश्किल होता है.
आज भी पेटेंट मेडिसिन में इस्तेमाल
भले ही नाखून का इस्तेमाल कम हुआ हो, लेकिन 2018 में बनी एक चीनी पेटेंट मेडिसिन हौ यान वान (Hou Yan Wan) ने खूब चर्चा बटोरी थी, क्योंकि इसमें भी नाखून एक जरूरी इंग्रीडियंट के रूप में शामिल था. यह दवा गले की सूजन के इलाज में दी जाती है.
चेंगदू यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन के प्रोफेसर ली जिमिन बताते हैं कि मेडिकल कंपनियां स्कूलों और गांवों से नाखून खरीदती हैं. इन्हें अच्छे से साफ करके, स्टरलाइज कर, गर्म कर पाउडर में बदला जाता है.
सिर्फ नाखून ही नहीं, इंसानी शरीर के और हिस्से भी इस्तेमाल
टीसीएम में नाखून के अलावा दांत, बाल और यहां तक कि डैंड्रफ (सिर की रूसी) को भी दवा में इस्तेमाल किया जाता रहा है. 16वीं सदी में लिखी गई मशहूर मेडिकल किताब बेंकाओ गंगमु (Compendium of Materia Medica) में लिखा है कि कंघी में बची डैंड्रफ को चावल के सूप या वाइन में मिलाकर पीने से सिरदर्द ठीक हो सकता है.
हालांकि सोशल मीडिया पर लोग इसे हैरानी और पागलपन भरा कदम बता रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, “मुझे यह घिनौना लगता है, नाखूनों में तो बहुत गंदगी होती है,”
एक ने कहा, “अगर मेडिकल कंपनियां इन्हें पूरी तरह साफ और स्टरलाइज करती हैं, तो यह सुरक्षित है.”
वहीं किसी ने मजाक में लिखा, “मैं अपने नाखून बेच ही नहीं सकता, क्योंकि मैं तो उन्हें काटने से पहले ही चबा जाता हूं.”