परिवार में जमीन जायदाद को लेकर बहसबाज़ी हो, या दंगा फसाद.. यह बात को कुछ हद तक समझ में आती है. लेकिन उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया जहां बाप और बेटी कानूनी तौर पर एक दूसरे के सामने खड़े आ गए. बात केवल सामने आने तक ही नहीं रहीं, बल्कि बेटी ने अपनी कानूनी जानकारी से पिता का पलड़ा हल्का कर दिया और जीत हासिल की.
दरअसल मामला उत्तर प्रदेश के बरेली का है. जहां छेड़छाड़ और पॉक्सो के तहत तत्कालीन आईजी डॉ. राकेश सिंह ने जीआरपी के हेड कॉन्सटेबल को बर्खास्त कर दिया था. लेकिन हेड कॉन्सटेबल का केस आईजी की बेटी ने अपने हाथ में ले लिया. जिसके बाद यह पूरा मामला पुलिस विभाग में गॉसिप का विषय बन गया.
क्या है मामला?
साल 2023 के दौरान एक छात्रा त्रिवेणी एक्सप्रेस से प्रयागराज आ रही थी. इस दौरान उसके साथ बरेली जंक्शन पर छेड़छाड़ की गई और उसका सामान भी नीचे फेंक दिया गया. यह आरोप लगा था जीआरपी के हेड कॉन्सटेबल तौफीक अहमद पर.
तौफीक अहमद मुरादाबाद में सिविल लाइंस के मोहल्ला बिशनपुर लोधी रोड के निवासी हैं. जैसे ही उनके खिलाफ आरोप सामने आए और पाक्सों की धाराओं में मामला दर्ज हुआ, उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. साथ ही रिपोर्ट में एससीएसटी की धारा को भी जोड़ा गया.
अहमद के खिलाफ बैठी जांच
मामले में तौफीक अहमद के खिलाफ विभागीय जांच कमेटी बिठाई गई. वह इस फैसले पर पहुंची की मामले तौफीक दोषी है. जिसका जब पता लगा तो बरेली रेंज के तत्कालीन आईजी डॉ. राकेश सिंह ने तौफीक को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया.
तौफीक ने खटखटाया कोर्ट का दरवाज़ा
बर्खास्तगी के बाद तौफीक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और फैसले को चुनौती दे दी. मामले में तौफीक की वकील आईजी डॉ. राकेश सिंह की बेटी अनुरा सिंह बनी. अब बात आती है कि लोग यही सोचेंगे कि बेटी तो बाप का साथ ही देगी, लेकिन अनुरा ने पिता का साथ न देते हुए उचित कानूनी कदम उठाए.
पुलिस जांच पर उठे सवाल
अनुरा ने कोर्ट में पुलिस की विभागीय जांच पर सावल उठाए. अनुरा की दलील रही कि विभागीय जांच में केवल तौफीक पर आरोप सिद्ध किया जाना था. लेकिन इसमें तौफीक के लिए सज़ा की भी बात की गई है. दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने विभागीय जांच कमेटी की रिपोर्ट को रद्द किया. साथ ही तौफीक की सेवा भी बहाल कर दी. साथ ही तीन महीने के अंदर नई जांच के आदेश दिए.
-संतोष की रिपोर्ट