अनोखे सर्टिफिकेट के लिए जनसुनवाई पहुंचा दिव्यांग बुजुर्ग, कहा- अधिकारियों से बिना रोक-टोक मिलने का मिले प्रमाण पत्र

जनसुनवाई में मौजूद अन्य लोग भी जीवन विश्वकर्मा की अनोखी फरियाद को सुनकर हैरान रह गए. कई लोगों का कहना था कि बुजुर्ग की तकलीफ और गुस्से की वजह उनकी लगातार अनसुनी की जा रही शिकायतें हैं.

दिव्यांग बुजुर्ग अनोखी मांग
gnttv.com
  • रायसेन,
  • 21 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST

जिला मुख्यालय में आयोजित जनसुनवाई के दौरान मंगलवार को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने न सिर्फ अधिकारियों को चौंका दिया बल्कि वहां मौजूद आम लोगों का भी ध्यान अपनी ओर खींच लिया. दरअसल, रायसेन के सांचेत गांव निवासी दिव्यांग बुजुर्ग जीवन विश्वकर्मा बाकायदा आवेदन पत्र लेकर जनसुनवाई में पहुंचे और अधिकारियों के सामने एक अनोखी मांग रख दी.

जीवन विश्वकर्मा ने कहा कि उन्हें ऐसा प्रमाण पत्र जारी किया जाए, जिससे वे कभी भी, कहीं भी, बिना किसी रोक-टोक के किसी भी अधिकारी से सीधे मिल सकें. उनकी इस अजीबो-गरीब मांग को सुनकर वहां मौजूद कर्मचारी और अधिकारी कुछ क्षण के लिए हैरान रह गए.

क्यों रखी बुजुर्ग ने ऐसी मांग?

जीवन विश्वकर्मा का आरोप है कि वे लंबे समय से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए भटक रहे हैं. उन्होंने बताया कि कई बार अपनी समस्या लेकर अधिकारियों के पास पहुंचे, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया. इतना ही नहीं, कई मौकों पर उन्हें दफ्तर के गेट से ही लौटा दिया गया.

दिव्यांग बुजुर्ग का कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है और वह प्रधानमंत्री आवास योजना के पात्र होने के बावजूद लाभ से वंचित हैं. ऐसे में, वे चाहते हैं कि उन्हें एक ऐसा प्रमाण पत्र मिल जाए जिसके आधार पर अधिकारी उन्हें कभी न टाल सकें और वे अपनी समस्याएं सीधे वरिष्ठ अधिकारियों के सामने रख सकें.

कलेक्टर के सामने भी नहीं रख पाए बात

जनसुनवाई के दौरान जब जीवन विश्वकर्मा अपनी फरियाद लेकर पहुंचे, उस समय कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा भी पास ही बैठे थे. लेकिन कर्मचारियों ने बुजुर्ग को रोक दिया और वे सीधे कलेक्टर से मुलाकात नहीं कर पाए. इस पर दिव्यांग वृद्ध और ज्यादा नाराज़ हो गए और उन्होंने बिना रोक-टोक मिलने वाला "स्पेशल सर्टिफिकेट" बनाने की जिद पकड़ ली.

लोगों में चर्चा का विषय बनी फरियाद

जनसुनवाई में मौजूद अन्य लोग भी जीवन विश्वकर्मा की अनोखी फरियाद को सुनकर हैरान रह गए. कई लोगों का कहना था कि बुजुर्ग की तकलीफ और गुस्से की वजह उनकी लगातार अनसुनी की जा रही शिकायतें हैं. वहीं, कुछ लोगों ने कहा कि यह मामला प्रशासन के लिए एक संकेत है कि योजनाओं के असली लाभार्थी अब भी दर-दर भटक रहे हैं.

(राजेश रजक रायसेन की रिपोर्ट)

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