नाम रखने के लिए हुई थी वोटिंग... 4 कंपनियां बनाती हैं अलग-अलग पार्ट्स, दूसरों से किस तरह अलग है? कीमत कितनी होती है? बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के बारे में सबकुछ जानिए!

हालांकि ड्रीमलाइनर को "भविष्य का विमान" कहा जाता है, लेकिन इसका इतिहास विवादों से भी भरा रहा है. 2013 में बैटरी लीक की समस्या के कारण भारत समेत कई देशों में इसे ग्राउंड करना पड़ा था. हाल ही में, 2025 में अहमदाबाद में एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर के साथ एक हादसा हुआ, जिसने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए. तकनीकी खामियां, सॉफ्टवेयर बग्स, और सुरक्षा चेतावनियां इस विमान के लिए चुनौती बनी हुई हैं.

ड्रीमलाइनर (फोटो-गेटी इमेज)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:47 PM IST
  • नाम रखने के लिए हुई थी वोटिंग
  • 4 कंपनियां बनाती हैं अलग-अलग पार्ट्स

गुरुवार को अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद लंदन जा रहा एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हो गयादुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 240 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. ये पकें बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था.

बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, को दुनिया "भविष्य का हवाई जहाज" कहती है, एक ऐसा विमान है जो अपनी एडवांस तकनीक, फ्यूल कैपेसिटी, और यात्रियों के लिए आरामदायक अनुभव के लिए जाना जाता है. बोइंग कंपनी इसे अपना मास्टरपीस बताती है, जिसे 2003 में पहली बार दुनिया के सामने पेश किया गया और 2011 में इसकी पहली कमर्शियल फ्लाइट हुई. 

नामकरण की अनोखी कहानी
इस एयरक्राफ्ट से जुड़े कई किस्से हैं. एक ऐसा ही किस्सा है इसके नाम का. क्या आपने कभी सुना है कि किसी हवाई जहाज का नाम तय करने के लिए लाखों लोगों ने वोटिंग की हो? जी हां, बोइंग 787 का नाम "ड्रीमलाइनर" एक वैश्विक प्रतियोगिता के जरिए चुना गया. बोइंग ने 2003 में एक ऑनलाइन प्रतियोगिता शुरू की थी, जिसमें दुनिया भर से लोगों को इस विमान के लिए नाम सुझाने का मौका दिया गया. इस प्रतियोगिता में करीब 5 लाख वोट पड़े, और "ड्रीमलाइनर" नाम को सबसे ज्यादा पसंद किया गया. 

4 कंपनियां, एक विमान
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को बनाने में केवल बोइंग कंपनी अकेले काम नहीं करती. इस विमान को तैयार करने में चार प्रमुख कंपनियां अपने-अपने विशेष पार्ट्स बनाती हैं, जो इसे एक वैश्विक सहयोग का नमूना बनाता है. ये कंपनियां हैं:

बोइंग (Boeing, USA): बोइंग ड्रीमलाइनर की डिजाइन और अंतिम असेंबली का जिम्मा संभालती है. इसके दो प्रमुख असेंबली प्लांट हैं- एक सिएटल, वाशिंगटन में और दूसरा चार्ल्सटन, साउथ कैरोलिना में. बोइंग विमान के मुख्य ढांचे, जैसे फ्यूजलाज (प्लेन की मेन बॉडी) और आखिरी असेंबलिंग का काम करता है.

मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (Mitsubishi Heavy Industries, Japan): यह जापानी कंपनी ड्रीमलाइनर के पंखों (wings) को बनाती है. ड्रीमलाइनर के पंख इसकी सबसे बड़ी खासियत हैं, क्योंकि ये कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बने होते हैं, जो इसे हल्का और फ्यूल-एफिशिएंट बनाते हैं.

एयरबस (Airbus, Europe): हालांकि एयरबस बोइंग की प्रतिद्वंद्वी कंपनी है, लेकिन ड्रीमलाइनर के कुछ हिस्सों, जैसे टेल सेक्शन और कुछ इंटीरियर पार्ट्स, में इसका योगदान होता है. यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक उदाहरण है.

रोल्स-रॉयस और जनरल इलेक्ट्रिक (Rolls-Royce & General Electric, UK/USA): ये दोनों कंपनियां ड्रीमलाइनर के इंजन बनाती हैं. ड्रीमलाइनर दो प्रकार के इंजनों के साथ आता है – रोल्स-रॉयस ट्रेंट 1000 और जनरल इलेक्ट्रिक GEnx-1B. ये इंजन न केवल शक्तिशाली हैं, बल्कि ईंधन की खपत को 20% तक कम करते हैं.

(फोटो-गेटी इमेज)

इसके अलावा, छोटे-छोटे पार्ट्स जैसे लैंडिंग गियर, एवियोनिक्स, और इंटीरियर फिटिंग्स के लिए दुनिया भर की अन्य कंपनियां भी शामिल होती हैं. कुल मिलाकर, ड्रीमलाइनर का निर्माण 50 से ज्यादा देशों की 100 से अधिक कंपनियों का संयुक्त प्रयास है. यह एक ऐसा विमान है जो वैश्विक सहयोग का प्रतीक है.

ड्रीमलाइनर की कीमत
अब बात करते हैं सबसे बड़े सवाल की – बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की कीमत कितनी होती है? इसका जवाब इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसकी कीमत मॉडल, सुविधाओं, और ऑर्डर की मात्रा पर निर्भर करती है. बोइंग 787 के तीन मुख्य मॉडल हैं– 787-8, 787-9, और 787-10. इनकी कीमतें इस प्रकार हैं:

  • बोइंग 787-8: इसकी औसत सूची मूल्य (list price) लगभग 248.3 मिलियन डॉलर (करीब 20,000 करोड़ रुपये) है.
  • बोइंग 787-9: यह मॉडल थोड़ा बड़ा और ज्यादा उन्नत है, जिसकी कीमत लगभग 292.5 मिलियन डॉलर (करीब 24,000 करोड़ रुपये) है.
  • बोइंग 787-10: यह सबसे बड़ा मॉडल है, जिसकी कीमत 338.4 मिलियन डॉलर (करीब 28,000 करोड़ रुपये) तक जाती है.

लेकिन क्या आपको लगता है कि एयरलाइंस इतनी भारी रकम एकमुश्त चुकाती हैं? बिल्कुल नहीं! कई बार एयरलाइंस को थोक ऑर्डर (bulk orders) पर भारी डिस्काउंट मिलता है. उदाहरण के लिए, अगर कोई एयरलाइन 50 ड्रीमलाइनर खरीदती है, तो बोइंग 20-30% तक डिस्काउंट दे सकती है. इसके अलावा, कई एयरलाइंस विमान खरीदने की बजाय लीज पर लेती हैं, जिससे लागत और कम हो जाती है. लीजिंग का खर्च मासिक या वार्षिक आधार पर 1-2 मिलियन डॉलर तक हो सकता है, जो विमान के मॉडल और लीज की शर्तों पर निर्भर करता है.

ड्रीमलाइनर की खास विशेषताएं
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को बाकी विमानों से अलग बनाने वाली कुछ खास विशेषताएं हैं, जो इसे यात्रियों और एयरलाइंस दोनों के लिए पसंदीदा बनाती हैं:

  1. कार्बन फाइबर कम्पोजिट बॉडी: ड्रीमलाइनर का 50% से ज्यादा हिस्सा कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बना है, जो इसे हल्का और मजबूत बनाता है. यह पारंपरिक एल्यूमीनियम विमानों की तुलना में 20% कम ईंधन खपत करता है.
  2. बड़ी खिड़कियां: ड्रीमलाइनर की खिड़कियां सामान्य विमानों से 30% बड़ी हैं और इलेक्ट्रॉनिक डिमिंग फीचर के साथ आती हैं. यात्री बटन दबाकर खिड़की को धुंधला या साफ कर सकते हैं, जिससे बाहर का नजारा और आरामदायक हो जाता है.
  3. कम केबिन प्रेशर: ड्रीमलाइनर का केबिन प्रेशर 6,000 फीट की ऊंचाई के बराबर रखा जाता है, जबकि सामान्य विमान 8,000 फीट पर होते हैं. इससे यात्रियों को कम थकान और सिरदर्द की शिकायत होती है.
  4. शांत उड़ान: इसके इंजन और डिज़ाइन की वजह से यह विमान कम शोर करता है, जिससे यात्रियों को शांत और आरामदायक अनुभव मिलता है.
  5. लंबी दूरी की क्षमता: ड्रीमलाइनर 14,000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है, जो इसे लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए आदर्श बनाता है. उदाहरण के लिए, यह दिल्ली से न्यूयॉर्क तक बिना रुके उड़ सकता है.
(फोटो-गेटी इमेज)

ड्रीमलाइनर की चुनौतियां
हालांकि ड्रीमलाइनर को "भविष्य का विमान" कहा जाता है, लेकिन इसका इतिहास विवादों से भी भरा रहा है. 2013 में बैटरी लीक की समस्या के कारण भारत समेत कई देशों में इसे ग्राउंड करना पड़ा था. हाल ही में, 2025 में अहमदाबाद में एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर के साथ एक हादसा हुआ, जिसने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए. तकनीकी खामियां, सॉफ्टवेयर बग्स, और सुरक्षा चेतावनियां इस विमान के लिए चुनौती बनी हुई हैं. बोइंग को अपनी निर्माण प्रक्रिया को और पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की जरूरत है.

भारत में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का उपयोग मुख्य रूप से एयर इंडिया करती है. यह विमान लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों, जैसे दिल्ली-लंदन या मुंबई-न्यूयॉर्क, के लिए पसंदीदा है. भारतीय यात्रियों को इसकी बड़ी खिड़कियां, आरामदायक सीटें, और शांत केबिन काफी पसंद आते हैं. हालांकि, हाल के हादसों ने भारतीय उड्डयन प्राधिकरण (DGCA) को सतर्क कर दिया है, और इसकी सख्त निगरानी की जा रही है.

 

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