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अहमदाबाद क्रैश के बारे में सबकुछ इस ब्लैक बॉक्स से पता चलेगा... लेकिन ये छोटा सा डिवाइस कैसे बचा रह गया? किससे बनता है Black Box?

'ब्लैक बॉक्स' वास्तव में दो अलग-अलग डिवाइस का एक सामान्य नाम है: फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR). ये दोनों डिवाइस विमान के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक हैं.

Black Box (Photo/GettyImages) Black Box (Photo/GettyImages)

हवाई जहाज दुर्घटनाओं की खबरें सुनकर हम सभी का दिल दहल जाता है. जब कोई विमान आसमान से धरती पर आ गिरता है, आग की लपटों में घिर जाता है, या समुद्र की गहराइयों में खो जाता है, तो ऐसा लगता है कि कुछ भी बचना नामुमकिन है. लेकिन इन सबके बीच एक चीज ऐसी है जो लगभग हर बार चमत्कारिक रूप से सुरक्षित मिलती है - हवाई जहाज का 'ब्लैक बॉक्स'. यह छोटा सा डिवाइस, जो वास्तव में काला नहीं बल्कि नारंगी होता है, विमान दुर्घटना की जांच में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह ब्लैक बॉक्स इतना मजबूत कैसे है? जब हमारे रोजमर्रा के इलेक्ट्रॉनिक्स - जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप या कैमरे - जरा सी चोट से टूट जाते हैं, तो यह ब्लैक बॉक्स आग, पानी, और भयंकर टक्करों को कैसे झेल लेता है? 

ब्लैक बॉक्स क्या है और यह क्यों जरूरी है?
'ब्लैक बॉक्स' वास्तव में दो अलग-अलग डिवाइस का एक सामान्य नाम है: फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR). ये दोनों डिवाइस विमान के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक हैं.

  • फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान के तकनीकी आंकड़ों को रिकॉर्ड करता है, जैसे फ्लाइट की स्पीड, ऊंचाई, इंजन का प्रदर्शन, दिशा, और अन्य सैकड़ों पैरामीटर. यह जानकारी दुर्घटना की जांच के लिए महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह बताती है कि विमान के साथ तकनीकी रूप से क्या गलत हुआ.
  • कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह कॉकपिट में होने वाली बातचीत को रिकॉर्ड करता है, जिसमें पायलट और को-पायलट की बातें, रेडियो संचार, और विमान के सिस्टम की आवाजें शामिल होती हैं. यह जांचकर्ताओं को यह समझने में मदद करता है कि दुर्घटना से पहले पायलट क्या कर रहे थे और क्या स्थिति थी.

ये दोनों डिवाइस विमान के पिछले हिस्से (टेल सेक्शन) में रखे जाते हैं, क्योंकि दुर्घटना में यह हिस्सा सबसे कम क्षतिग्रस्त होने की संभावना रखता है. लेकिन सवाल यह है कि जब पूरा विमान आग की लपटों में जल रहा हो, टुकड़े बिखर रहे हों, और भयंकर टक्कर हो रही हो, तो यह छोटा सा डिवाइस कैसे बचा रहता है?

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ब्लैक बॉक्स की बनावट

ब्लैक बॉक्स को इतना मजबूत बनाने के लिए इसे विशेष सामग्रियों और तकनीकों से बनाया जाता है. आइए, इसकी बनावट और डिजाइन के कुछ प्रमुख पहलुओं को समझते हैं:

1. मजबूत स्टील का कवच
ब्लैक बॉक्स का बाहरी बॉडी स्टेनलेस स्टील या टाइटेनियम से बना होता है. ये धातुएं काफी मजबूत और गर्मी प्रतिरोधी होती हैं. यह आवरण इतना मजबूत होता है कि यह 3,400 जी (g-force) की टक्कर को सह सकता है. सामान्य भाषा में कहें तो यह इतना मजबूत है कि अगर इसे 10 मंजिला इमारत से फेंका जाए, तब भी यह टूटेगा नहीं. इसके अलावा, यह आवरण 30 मिनट तक 1,100 डिग्री सेल्सियस की आग और 6.5 टन प्रति वर्ग सेंटीमीटर दबाव को सहने के लिए डिजाइन किया गया है. यानी, यह आग और भारी मलबे के नीचे भी डेटा को सुरक्षित रखता है.

2. मेमोरी मॉड्यूल
ब्लैक बॉक्स का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा इसका मेमोरी मॉड्यूल होता है, जहां डेटा स्टोर होता है. यह मॉड्यूल सॉलिड-स्टेट मेमोरी का उपयोग करता है, जो हमारे रोजमर्रा के फ्लैश ड्राइव या मेमोरी कार्ड से मिलता-जुलता है, लेकिन यह कहीं ज्यादा मजबूत होता है. इसे सिलिका जेल और थर्मल इंसुलेशन से भरे एक विशेष कंटेनर में रखा जाता है, जो इसे गर्मी और नमी से बचाता है. यह मॉड्यूल 60 दिनों तक समुद्र के पानी में डूबा रहने पर भी डेटा को सुरक्षित रख सकता है.

3. अंडरवाटर लोकेटर बीकन
ब्लैक बॉक्स में एक अंडरवाटर लोकेटर बीकन (ULB) भी होता है, जो समुद्र में दुर्घटना होने पर इसकी लोकेशन ढूंढने में मदद करता है. यह बीकन 30 दिनों तक हर सेकंड एक अल्ट्रासोनिक सिग्नल भेजता है, जिसे विशेष उपकरणों की मदद से ट्रैक किया जा सकता है. यह सिग्नल 20,000 फीट की गहराई तक काम कर सकता है, जो समुद्र की औसत गहराई से कहीं ज्यादा है.

4. चमकीला नारंगी रंग
ब्लैक बॉक्स को नारंगी रंग में रंगा जाता है, ताकि मलबे के बीच इसे आसानी से देखा जा सके. इसके अलावा, इस पर रिफ्लेक्टिव टेप लगी होती है, जो इसे रात में भी खोजने में मदद करती है.

कई जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
ब्लैक बॉक्स ने कई हवाई दुर्घटनाओं की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उदाहरण के लिए:

  1. एयर फ्रांस फ्लाइट 447 (2009): यह विमान अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. दो साल बाद समुद्र की गहराई से ब्लैक बॉक्स बरामद किया गया, जिसने दुर्घटना के कारणों को समझने में मदद की.
  2. मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट 370 (2014): हालांकि इस विमान का ब्लैक बॉक्स आज तक नहीं मिला, लेकिन इसके बीकन ने खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद दी थी.
  3. इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302 (2019): इस दुर्घटना में ब्लैक बॉक्स ने यह साबित किया कि विमान का सॉफ्टवेयर सिस्टम दोषपूर्ण था, जिसके बाद बोइंग 737 मैक्स को कुछ समय के लिए उड़ान से रोक दिया गया.

हालांकि ब्लैक बॉक्स आज भी बेहद विश्वसनीय है, लेकिन तकनीक में प्रगति के साथ इसमें बदलाव की मांग बढ़ रही है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ब्लैक बॉक्स की जगह रियल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन ले सकता है, जिसमें विमान का डेटा सैटेलाइट के जरिए सीधे ग्राउंड स्टेशन पर भेजा जाएगा. इससे ब्लैक बॉक्स को खोजने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. हालांकि, इस तकनीक में लागत और साइबर सिक्योरिटी जैसी चुनौतियां हैं.