Game of Superstition in Samastipur: सांप के काटने से मर गया था बालक... पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जा रहा था शव... तभी पहुंचा तांत्रिक... झाड़फूंक कर करने लगा जिंदा करने का दावा... जानें फिर क्या हुआ 

मरे हुए व्यक्ति को कभी भी जिंदा नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ तांत्रिक ऐसा करने का झूठा दावा करते हैं. बिहार के समस्तीपुर में भी एक तांत्रिक नहीं ऐसा किया. सांप के काटने से एक बालक की मौत हो गई थी. तभी वहां एक तांत्रिक पहुंच गया झाड़फूंक कर शव पर कोड़े मारने लगा, अंधविश्वास का खेल खलने लगा, फिर भी मुर्दा जिंदा न हुआ. आप भी जानिए पूरा मामला. 

Game of Superstition in Samastipur
जहांगीर आलम
  • समस्तीपुर ,
  • 12 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:33 PM IST
  • समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर में सांप के काटने से 15 वर्षीय छात्र की हो गई थी मौत
  • मुर्दा को जिंदा करने का सदर अस्पताल में घंटों चला अंधविश्वास का खेल

बिहार के समस्तीपुर जिले स्थित सदर अस्पताल से अंधविश्वास का चौकाने वाला मामला सामने आया है. मुर्दा को जिंदा करने का सदर अस्पताल में घंटों ड्रामा चलता रहा. 15 वर्षीय छात्र को सांप ने काट लिया था. इससे उसकी मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम होने से पहले तांत्रिक ने मृतक को जिंदा करने का दावा कर घंटों अंधविश्वास का खेल खेलता रहा. फिर भी मुर्दा जिंदा न हुआ.

सोए अवस्था में सांप ने लिया था काट
समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीननगर थाना क्षेत्र के राजाजान गांव के रहने वाले रंजीत पासवान का पुत्र झामन कुमार (15) को सोए अवस्था मे सांप ने काट लिया था. इसके बाद उसे परिजन दलसिंहसराय के एक अस्पताल में इलाज कराने के लिए लेकर पहुंचे, जहां इलाज के दौरान झामन की मौत हो गई. इसके बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई. 

परिजनों को तांत्रिक पर हो गया विश्वास
पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लेकर गई. शव जब सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस के पास पंहुचा तो पीछे से एक व्यक्ति हेलमेट लगाए हुए पहुंच गया. खुद को तांत्रिक बताते हुए मुर्दा को जिंदा करने का दावा करने लगा. इस पर मृतक के परिजनों को यकीन हो गया और तांत्रिक को जिंदा करने के लिए इजाजत दे दी. इसके बाद सदर अस्पताल परिसर में तांत्रिक का खेल शुरू हो गया.

कभी मंत्र पढ़ता तो कभी कोड़ा मारता
पहले तो तांत्रिक तंत्र मंत्र पढ़कर झाड़फूंक करने लगा. इसके बाद गमछा को कोड़ा की तरह बनाकर उसको मृतक के शरीर पर मारने लगा. तांत्रिक कोड़ा मारता फिर मृतक का नब्ज टटोलता तो फिर सीने पर हाथ रखकर धड़कन को देखता था. इसके बाद तांत्रिक मृतक के तलवे पर मालिश करता है. यह ड्रामा घंटों चलता रहा और परिजन अपने बच्चें को जिंदा होने की आस लगाएं देखते रहें लेकिन मुर्दा जिंदा नही हुआ.

और तांत्रिक धीरे से खिसक गया
अंत में तांत्रिक अखिलेश कुमार मृतक के परिजनों से माफी मांगते हुए कहा कि बालक मौत कई घंटे पहले हो गई थी और इसको स्लाइन भी चढ़ चुका था इसलिए मुर्दा अब जिंदा नहीं हो सकता है. यह कह कर तांत्रिक वहां से खिसक गया. अब सवाल उठता है कि सदर अस्पताल परिसर में अंधविश्वास का ड्रामा चलता रहा और इसे रोकने की जहमत नहीं की गई.


 

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