

राजस्थान के रणथंभौर सहित देश के 14 प्रमुख जंगलों की सुरक्षा के लिए अब डॉग स्क्वाड तैनात किए जा रहे हैं. यह पहला मौका है जब राजस्थान को अपना डॉग स्क्वाड मिला है. इन प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से न सिर्फ शिकार पर रोक लगेगी, बल्कि वन्यजीवों के अवैध व्यापार को भी नियंत्रित किया जा सकेगा.
इन डॉग स्क्वाड को पंचकूला स्थित आईटीबीपी (इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस) कैंप में 7 महीने की विशेष ट्रेनिंग दी गई है. अब तक पूरे देश में 120 डॉग स्क्वाड को नियुक्त किया जा चुका है और राजस्थान का नाम अब इस सूची में शामिल हो गया है.
2008 में शुरू हुई थी पहल
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के जैव विविधता संरक्षण विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ. दीपांकर घोष के अनुसार, 2008 में केवल दो डॉग के साथ यह ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू हुआ था. उद्देश्य था- जंगलों में होने वाली अवैध गतिविधियों का पता लगाना और उन्हें रोकना. आज 17 साल बाद 120 प्रशिक्षित स्निफर डॉग देश के अलग-अलग जंगलों में तैनात हैं.
जंगलों में शिकार और अवैध व्यापार के कारण कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं. नेवले के बाल, सांप की खाल, गैंडे का सींग, बाघ-तेंदुए की हड्डी और खाल, हाथी के दांत, कछुए और दुर्लभ पक्षियों का शिकार- ये सब काले बाजार का हिस्सा हैं. डॉग स्क्वाड इन अपराधों को रोकने में अहम भूमिका निभाएंगे.
कहां-कहां होगी तैनाती
राजस्थान में यह डॉग स्क्वाड फिलहाल रणथंभौर में तैनात किया गया है. इसके अलावा देश के कई टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यानों में भी इन्हें तैनात किया जा रहा है-
अवैध वन्यजीव व्यापार पर सख्ती
डॉ. घोष ने बताया कि वन्यजीवों का अवैध व्यापार एक संगठित अपराध है, जो न केवल जैव विविधता बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है. उन्होंने कहा, “भारत के बाघ, हाथी, गैंडे, पैंगोलिन, कछुए, पक्षी और समुद्री जीव- इन सभी का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम इन पर हो रहे खतरे को कितनी गंभीरता से कम करते हैं.”
डॉग स्क्वाड का काम जंगल में किसी भी अवैध गतिविधि जैसे शिकार, जाल बिछाना, या अवैध सामान की तस्करी, का तुरंत पता लगाना और अधिकारियों को सतर्क करना होगा.
आगे की योजना
वन विभाग का कहना है कि आने वाले समय में राजस्थान को और डॉग स्क्वाड दिए जाएंगे, जिससे राज्य के अलग-अलग वन्यजीव अभयारण्यों (sanctuaries) और टाइगर रिजर्व में निगरानी और मजबूत की जा सके. इन डॉग स्क्वाड की देखरेख और कार्य योजना राजस्थान वाइल्डलाइफ विभाग के अधीन होगी.
इस पहल से उम्मीद है कि न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि अवैध शिकार और तस्करी पर भी कड़ी लगाम लगेगी.
(हिंमाशु शर्मा की रिपोर्ट)