सर्दी अब केवल स्वेटर, कोहरा और चाय की चुस्कियों तक सीमित नहीं रहेगी- अब उसमें शामिल होगी अमरूद की रसमलाई जैसी मिठास. प्रयागराज के ऐतिहासिक खुसरो बाग में इस बार कुछ अलग ही तैयारी चल रही है. उत्तर प्रदेश उद्यान विभाग की टीम ने अमरूद की मिठास, कोमलता और गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक खास प्रयोग शुरू किया है.
क्या है प्रयोग की खास बात?
अमरूद के बागों में इस बार चार स्तरों पर वैज्ञानिक और परंपरागत तकनीकों का संयोजन किया जा रहा है. इन तकनीकों का उद्देश्य है- अमरूद के स्वाद को रसमलाई जैसी मिठास और मलाईदार स्पर्श देना.
प्रयोग की प्रमुख तकनीकें:
कौन हैं इस पहल के पीछे?
इस नवाचार के सूत्रधार हैं प्रयागराज के उद्यान अधिकारी वी.के. सिंह, जो लगातार किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस बार की तैयारी कहीं अधिक व्यापक और वैज्ञानिक तरीके से की गई है. उनका दावा है कि प्रयागराज के अमरूद इस बार रसमलाई के स्वाद को मात देंगे. वी. के सिंह कहते हैं, “हमने वैज्ञानिक पद्धति और परंपरागत अनुभव को मिलाकर ऐसा अमरूद तैयार किया है जो न केवल मीठा होगा, बल्कि उसकी सुगंध और बनावट भी शानदार होगी.”
क्या है किसानों को फायदा?
इस सर्दी प्रयागराज आना सिर्फ संगम स्नान और तख़्त दर्शन के लिए नहीं होगा, बल्कि इस बार का आकर्षण होगा "रसमलाई अमरूद". इसका स्वाद आपको मिठाई की दुकान की याद दिला देगा, लेकिन अंतर बस इतना होगा- यह मिठास होगी प्रकृति से उपजी, और मेहनती किसानों की लगन से पकी हुई.
(आनंद राज की स्टोरी)