बीमार पति को अस्पताल में छोड़ भाग गई पत्नी, फोन करने पर बोली- 'मुझे मतलब नहीं', दो दिन इलाज के बाद पति ने तोड़ा दम

बड़ागांव थाना क्षेत्र निवासी करीब 45 वर्षीय सुनील गुप्ता को 2 जून को टीबी, फेफड़ों की खराबी और खून की भारी कमी के चलते मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. उन्हें मेडिसिन वार्ड 6 में रखा गया.

Maharani Laxmibai Medical College
gnttv.com
  • झांसी ,
  • 09 जून 2025,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST
  • बाहर पड़ा रहा मरीज, नहीं मिला इलाज
  • मरीज टीबी का पुराना रोगी था

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक भावुक कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बीमार पति को उसकी पत्नी अस्पताल में अकेला छोड़कर चली गई. साथ में सिर्फ उनका 11 साल का मासूम बेटा रह गया, जो न तो खुद कुछ समझ पा रहा था और न किसी की मदद कर पा रहा था. पति का दो दिन तक बिना किसी परिजन के इलाज चलता रहा और आखिरकार मरीज ने दम तोड़ दिया.

बीमार थे सुनील गुप्ता, 2 जून को हुए थे भर्ती
बड़ागांव थाना क्षेत्र निवासी करीब 45 वर्षीय सुनील गुप्ता को 2 जून को टीबी, फेफड़ों की खराबी और खून की भारी कमी के चलते मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. उन्हें मेडिसिन वार्ड 6 में रखा गया. शुरुआती देखरेख के लिए पत्नी अस्पताल में मौजूद थी. इलाज के बाद भी राहत न मिलने पर सुनील ने 5 जून को छुट्टी मांगी. डॉक्टरों ने छुट्टी के आदेश तैयार किए, लेकिन इससे पहले ही पत्नी उसे अकेला छोड़कर चली गई. साथ में 11 साल के बेटे को अस्पताल में छोड़ गई. मासूम बेटा डर और चिंता में था, वह बार-बार रिश्तेदारों को फोन करने की कोशिश करता रहा.

नर्स ने की पत्नी से बात, जवाब मिला- 'मुझे कोई मतलब नहीं'
सीएमएस डॉ. सचिन माहौर ने बताया कि जब मरीज अकेला रह गया, तब नर्स ने पत्नी को कॉल किया लेकिन उसने साफ कहा, "मुझे कोई मतलब नहीं, मैं नहीं आउंगी." इसके बाद मरीज को छुट्टी नहीं दी गई और उसे फिर से वार्ड में भर्ती कर लिया गया लेकिन उसकी देखरेख करने वाला कोई मौजूद नहीं था.

7 जून को मौत, बहन को फोन पर दी गई सूचना
7 जून की सुबह मरीज की बहन ने कॉल कर कहा कि वह अस्पताल आ रही है और मरीज को नीचे भेज दिया जाए. जब वार्डबॉय मरीज को लेकर नीचे पहुंचा, तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी और वहीं उसकी मौत हो गई.

बाहर पड़ा रहा मरीज, नहीं मिला इलाज
सुनील गुप्ता की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि 5 जून को छुट्टी मिलने के बाद से मरीज को वार्ड से बाहर रखा गया और उसे उचित इलाज नहीं दिया गया. इसी कारण उसकी जान गई.

सीएमएस ने आरोपों को किया खारिज, बताया इलाज जारी था
सीएमएस डॉ. माहौर ने परिजनों के आरोपों को गलत बताया. उन्होंने कहा कि “7 जून तक मरीज का इलाज चलता रहा. बहन के कहने पर ही मरीज को नीचे भेजा गया था. हमारे पास सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं. मरीज को छुट्टी देने का निर्णय खुद उसकी मांग पर हुआ था. उन्होंने यह भी बताया कि मरीज टीबी का पुराना रोगी था और काफी कमजोर हो चुका था. इसलिए उसकी हालत पहले से ही गंभीर थी. किसी तरह की लापरवाही सामने नहीं आई, इसलिए पोस्टमार्टम नहीं कराया गया.

-प्रमोद कुमार गौतम की रिपोर्ट

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