केरल में शुरू हुआ टाइम बैंक, जितना समय बुजुर्गों को अभी दोगे, उतना ही तुम्हे बुढ़ापे में मिलेगा वापस

जापान में बुजुर्गों के अकेलेपन से लड़ने के लिए सालों पहले यही मॉडल लागू किया गया था, जिसे फुरेई किप्पू कहा गया. वहां यह सिस्टम बेहद सफल रहा और आज हजारों बुजुर्ग इसका फायदा उठा रहे हैं.

Time bank
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 04 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

जब देशभर में बुजुर्गों की देखभाल बड़ी चुनौती बनती जा रही है, ऐसे समय में केरल के इडुक्की जिले की एल्लीकुलम पंचायत ने एक ऐसी पहल शुरू की है, जो समाज में पीढ़ियों के बीच दूरी मिटाने का काम कर रही है. इस पहल का नाम है टाइम बैंक. यानी आज आप किसी बुजुर्ग को जितना समय देंगे, उतना ही समय आपको अपने बुजुर्ग होने पर वापस मिलेगा.

कैसे काम करता है टाइम बैंक?
इस योजना के तहत पंचायत में युवा और अन्य नागरिक रजिस्टर कर सकते हैं.
वे आसपास रहने वाले बुजुर्गों की मदद करते हैं जैसे,

  • अस्पताल ले जाना

  • दवा लाना

  • खरीदारी करवाना

  • घर के छोटे काम करवाना

  • उनके साथ बैठकर बातचीत करना

  • किताबें पढ़ना

  • अकेलेपन में साथ देना

युवाओं द्वारा दिए गए हर एक घंटे को उनके “टाइम अकाउंट” में जमा कर दिया जाता है.
आगे चलकर, जब वही युवा बुजुर्ग होंगे, तब उन्हें भी पंचायत उसी तरह के स्वयंसेवकों से उतना ही समय और सपोर्ट उपलब्ध कराएगी. यानी यह योजना न तो पैसे के लेनदेन पर आधारित है और न ही दान पर. यहां सिर्फ समय का लेन देन होता है.

जापान से प्रेरित है ये मॉडल
इसका आइडिया जापान की प्रसिद्ध प्रणाली ‘फुरेई किप्पू’ से लिया गया है, जहां लोग बुजुर्गों की सेवा करके “टाइम पॉइंट्स” कमाते हैं और जरूरत पड़ने पर वही पॉइंट्स वे खुद इस्तेमाल कर सकते हैं.

आज के दौर में परिवार छोटे हो रहे हैं और युवा रोज़गार के लिए शहरों में जा रहे हैं. ऐसे में बुजुर्गों के लिए अकेलापन और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं. टाइम बैंक ऐसे बुजुर्गों के लिए बहुत बड़ी राहत साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें इमोशनल सपोर्ट मिलेगा, समय पर मदद मिल सकेगी और उनका अकेलापन कम होगा. वहीं युवाओं के लिए यह जीवन की असल सीख देने वाला अनुभव है. बुजुर्गों की बातों, अनुभवों और जीवन दर्शन से उन्हें वैसे ही सबक मिलते हैं, जो किताबों में भी नहीं मिलते.

पंचायत का लक्ष्य- पूरे राज्य में लागू करना
पंचायत अधिकारियों के अनुसार, आने वाले समय में इस योजना को राज्य स्तर पर बढ़ाने की तैयारी है. पंचायत अध्यक्ष का कहना है, हम चाहते हैं कि हर युवा यह समझे कि आज जो वह दे रहा है, वही कल उसके काम आएगा. यह सामजिक सुरक्षा और मानवीय रिश्तों को मजबूत करने वाली पहल है.

डॉक्टर्स का कहना है कि टाइम बैंक जैसी योजनाएं बुजुर्गों में अवसाद और अकेलेपन को कम करती हैं, युवाओं में संवेदनशीलता बढ़ाती हैं और समाज में आपसी रिश्तों को मजबूत बनाती हैं. केरल की इस पहल ने साबित कर दिया कि अगर हम अपना थोड़ा समय किसी जरूरतमंद बुजुर्ग को देते हैं, तो वही समय भविष्य में हमारी सबसे बड़ी पूंजी बनकर लौट सकता है.

 

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