Drip Pricing Scam: दिखाया कुछ और.. बताना कुछ और.. जानें ड्रिप प्राइसिंग स्कैम के बारे में

यह स्कैम एक तरह की मार्केटिंग स्ट्रैटिजी है, जिसमें आपको प्रोडक्ट की कीमत कुछ और दिखाई जाती है, लेकिन जब आप खरीदते हैं तो ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

लोग ऑनलाइन शॉपिंग के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लगने वाली सेल का इंतजार करते रहते हैं. एक बार सेल का ऐलान हो जाता है, तो लोग अपनी पसंद की चीज़ों को तलाश शुरू कर देते हैं. कोशिश रहती है कि कम से कम प्राइस में ज्यादा से ज्यादा फीचर मिल जाएं. लेकिन इस दौरान वह ड्रिप प्राइसिंग स्कैम का शिकार हो जाते है. लेकिन आखिर क्या होता है यह स्कैम?

कीमतों के तालाब में तैरना
जब भी किसी प्रोडक्ट को खरीदना होता है उसको अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर जाकर कीमत को देखा जाता है. उदहारण के लिए अगर फोन खरीदना है तो कभी स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और अमेजन पर जाकर लोग कॉस्ट देखते हैं. फिर किसी एक वेबसाइट पर आकर अलग-अलग मॉडल, फीचर के अनुसार अपने बजट के हिसाब से कीमत देखते हैं. उसके बाद जाकर आखिर में किसी एक मॉडल को पसंद करते हैं.

क्या होती है ड्रिप प्राइसिंग?
यह एक तरह की कहावत से मिलती है कि हाथी के दांत खाने के कुछ, दिखाने के कुछ और. यानी आपको जो कीमत प्रॉडक्ट की दिखाई जाती है वह केवल दिखावती कीमत होती है. यानी जब आप उसको खरीदने जाएंगे जो उसमें कई तरह की कीमतों को जोड़ दिया जाएगा. एक तरह से ₹100 का प्रॉडक्ट ₹115 का पड़ेगा. अब इस ₹15 में डिलिवरी चार्ज, प्लेटफॉर्म चार्ज, हैंडलिंग चार्ज आदि जैसे कई चार्ज को जोड़ दिया जाता है. और यहीं होता है ड्रिप प्राइसिंग स्कैम.

ड्रिप प्राइसिंग एक मार्केटिंग स्ट्रेटजी है. इसमें किसी प्रोडक्ट की असली और पूरी कीमत शुरुआत में नहीं बताई जाती. जैसे-जैसे आप खरीदारी की प्रक्रिया में आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उसमें अतिरिक्त शुल्क जोड़े जाते हैं.

 

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