
त्योहारों के मौसम में जब आप किसी मिठाई की दुकान में जाते हैं, तो शीशे की अलमारियों में रखी मिठाइयां मन मोह लेती हैं. कहीं काजू कतली की परतों पर चांदी झिलमिला रही होती है, तो कहीं बरफी और लड्डू पर सुनहरी परत तैरती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आखिर मिठाइयों पर सोने-चांदी का वर्क क्यों चढ़ाया जाता है? चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण
क्या है वर्क और कैसे बनता है यह
वर्क यानी खाने योग्य सोने या चांदी की बेहद पतली परत, जिसे इतने महीन रूप में बनाया जाता है कि वह हवा में भी उड़ जाए. पारंपरिक तौर पर कारीगर छोटे-छोटे चांदी या सोने के टुकड़ों को दो परतों के बीच रखकर घंटों हथौड़े से पीटते थे. इससे धातु पतली होती जाती और आखिर में एक चमकदार शीट बन जाती थी.
पुराने समय में ये परतें जानवरों की झिल्ली के बीच रखकर बनाई जाती थीं, जिससे जैन और शाकाहारी समुदायों ने नैतिक आपत्ति जताई. लेकिन अब तकनीक बदल चुकी है. आज वर्क सिंथेटिक या पौधों से बने पदार्थों के बीच तैयार किया जाता है. जयपुर, लखनऊ और वाराणसी जैसे शहर में यह तैयार किए जाते हैं.
क्या वर्क खाना सेफ है?
हां, यह पूरी तरह से सेफ है. FSSAI के अनुसार, वर्क 99.9% शुद्ध चांदी या सोना होना चाहिए. इसमें निकेल, सीसा या कॉपर जैसे भारी धातु नहीं होने चाहिए. केवल प्रमाणित निर्माता ही इसे बेच सकते हैं. इसलिए जब मिठाई पर वर्क लगाया जाता है, तो वह सुरक्षित और शुद्धता का प्रतीक होता है.
क्या है वर्क का शाही इतिहास
वर्क की शुरुआत मुगल दरबारों की शाही रसोई से हुई थी. फारसी प्रभाव के साथ भारत आए इस चलन को मुगलों ने नए स्तर पर पहुंचाया. जहां खाना सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि सुंदर लगने का भी प्रतीक था. चांदी-सोने से सजी मिठाइयां और व्यंजन “राजसी वैभव” का प्रतीक बन गए. धीरे-धीरे यह परंपरा आम घरों तक पहुंची और हर त्यौहार पर लोगों ने अपनी मिठाइयों पर वर्क लगाकर शाही ठाठ का स्वाद लेना शुरू किया.
आयुर्वेद ने दी थी वर्क को औषधीय पहचान
मुगलों से भी पहले आयुर्वेद में सोना-चांदी के सेवन का उल्लेख मिलता है. चांदी को ठंडक देने वाली, जीवाणुरोधी और सूजन कम करने वाली धातु माना गया. सोना शक्ति और दीर्घायु का प्रतीक था, जो शरीर में ऊर्जा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. “स्वर्ण भस्म” और “रजत भस्म” का उपयोग आज भी आयुर्वेदिक दवाओं में होता है. इसलिए वर्क सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि एक वैदिक परंपरा भी है.
वर्क को भारत में पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. दीपावली, जन्माष्टमी या ईद जैसे पर्वों पर देवताओं को जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, उस पर वर्क चढ़ाना भक्ति और सम्मान का भाव दर्शाता है. चांदी की चमक जहां प्रकाश और उदारता का प्रतीक है, वहीं सोना मां लक्ष्मी और धन-संपन्नता से जुड़ा हुआ है.
आज भी वर्क वाली मिठाइयों को प्रीमियम क्वालिटी माना जाता है. शादी-ब्याह, त्यौहार या कॉर्पोरेट गिफ्टिंग में वर्क चढ़ी मिठाइयां सम्मान और समृद्धि का संदेश देती हैं. जब अगली बार आप किसी काजू कतली या बरफी की चांदी की परत को हटाएं, तो याद रखिए आप सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि सदियों की संस्कृति, शिल्प और श्रद्धा का स्वाद ले रहे हैं.