Kumbh Fellowship Program: देश में मंदिरों के मैनेजमेंट को रास्ता दिखाएगा प्रयागराज महाकुंभ

प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में आयोजित ‘कुंभ फेलो लर्निंग कार्यक्रम’ में देश के प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन विशेषज्ञों और कुंभ पर शोध करने वाली ‘सुपर 53’ टीम के सदस्यों के बीच हुए संवाद से एक नई दिशा मिली है.

Mahakumbh
gnttv.com
  • प्रयागराज,
  • 26 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST
  • कार्यक्रम में 46 कुंभ फेलो शामिल हुए
  • कुंभ फेलोशिप कार्यक्रम बना उदाहरण

प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में आयोजित ‘कुंभ फेलो लर्निंग कार्यक्रम’ में देश के प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन विशेषज्ञों और कुंभ पर शोध करने वाली ‘सुपर 53’ टीम के सदस्यों के बीच हुए संवाद से एक नई दिशा मिली है. इस बातचीत के बाद मंदिरों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक विशेष प्रशिक्षित वर्कफोर्स तैयार करने पर सहमति बनी है.

कार्यक्रम में 46 कुंभ फेलो शामिल हुए
इस कार्यक्रम में कुल 46 कुंभ फेलो शामिल हुए, जिन्होंने प्रयागराज महाकुंभ 2025 के अनुभवों को साझा किया. आयोजन में महाकुंभ के दौरान प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संभालने वाले एसडीएम अभिनव पाठक और क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी अपराजिता सिंह भी मौजूद रहीं.

डॉ. अनुभव रावत, नोडल अधिकारी, सुपर 53 टीम ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ की भव्यता, तकनीकी नवाचार और युवा भागीदारी के सफल समन्वय को अब देश के बड़े धार्मिक आयोजनों और मंदिरों में भी लागू करने की योजना है.

तकनीक आधारित प्रबंधन मॉडल को मिली मान्यता
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और देश में मंदिर प्रबंधन के विशेषज्ञ डॉ. सुरेश हवारे ने कहा कि महाकुंभ के दौरान अपनाए गए भीड़ प्रबंधन के तौर-तरीके, जैसे ई-कतार प्रणाली, सीसीटीवी निगरानी, और आईटी आधारित प्रशासन, देश के प्रमुख मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ को सुव्यवस्थित करने में कारगर सिद्ध हो सकते हैं.

उन्होंने मंदिर प्रबंधन के लिए एक समर्पित प्रशिक्षित वर्कफोर्स विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि जिस तरह महाकुंभ में तकनीक और समन्वय के जरिए सफलता मिली, वैसा ही मॉडल मंदिरों में भी अपनाया जाना चाहिए.

कुंभ फेलोशिप कार्यक्रम बना उदाहरण
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में शुरू किया गया ‘कुंभ फेलोशिप कार्यक्रम’ तकनीकी विशेषज्ञता, नवाचार और प्रशासनिक समन्वय को एक मंच पर लाने की एक विशेष पहल थी. इससे जुड़े फेलोज़ अब महाकुंभ के अनुभवों को देशभर के धार्मिक आयोजनों में रूपांतरित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

-आनंद राज की रिपोर्ट

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