गुरुग्राम में रहने वाले एक कर्मचारी ने हाल ही में लिंक्डइन पर ऐसा पोस्ट लिखा, जिसने लोगों के बीच बहस छेड़ दी. ई-कॉमर्स कंपनी में काम करने वाले तनमय जैन ने बताया कि उन्हें ऑफिस से देर से निकलना पसंद है. वह ऐसा ओवरटाइम या टॉक्सिक वर्क कल्चर के कारण नहीं, बल्कि गुरुग्राम के भारी ट्रैफिक जाम से बचने के लिए करते हैं.
मुझे देर से ऑफिस छोड़ना पसंद है
तनमय ने अपने पोस्ट में लिखा कि मुझे ऑफिस जल्दी छोड़ना बिल्कुल पसंद नहीं. इसका मतलब ये नहीं कि मेरी ज़िंदगी में ऑफिस के अलावा कुछ नहीं है, या मेरा कार्यस्थल खराब है. बल्कि, ये उन सबसे बेहतर जगहों में से एक है जहां मैंने काम किया है.
असली कारण है कि जब मैं देर से निकलता हूं, तो मुझे गुरुग्राम के ट्रैफिक से नहीं जूझना पड़ता. मैं देर से आता हूं, देर से जाता हूं और ऐसा करके मैं अपनी सुबहें वापस पा लेता हूं. पढ़ने, एक्सरसाइज़ करने, खेलने का समय यानी काम शुरू करने से पहले खुद के लिए समय भी निकाल लेता हूं.
ट्रैफिक में फंसना मानसिक बर्बादी
तनमय ने बताया कि उनका यह फैसला सिर्फ सुविधा के लिए नहीं, बल्कि वैज्ञानिक शोधों से भी जुड़ा हुआ है. मनोवैज्ञानिक डेनियल काहनेमन जैसे विशेषज्ञों ने बताया है कि हमारी मानसिक ऊर्जा का हर छोटा ड्रेन हमारे निर्णयों की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. एक घंटा ट्रैफिक में फंसना उसी तरह की थकान है, जो आपको लैपटॉप खोलने से पहले ही थका देती है.
टाइमिंग बदलने से बढ़ सकती है प्रोडक्टिविटी
तनमय का मानना है कि जो लोग अपने ऑफिस टाइमिंग को थोड़ा बदल सकते हैं, उन्हें ऐसा एक बार ज़रूर आज़माना चाहिए. अगर आपके पास अपने काम के टाइम को थोड़ा एडजस्ट करने की आज़ादी है, तो इसे एक बार ज़रूर ट्राय करें. ट्रैफिक से बचना शायद सबसे आसान और असरदार प्रोडक्टिविटी हैक है. जिसके बारे में कोई बात नहीं करता.
लोगों की राय बंटी दो हिस्सों में
तनमय के इस पोस्ट पर लोगों की राय दो हिस्सों में बंट गई. कुछ लोगों ने इसे स्मार्ट और प्रैक्टिकल आइडिया बताया, जबकि कुछ ने कहा कि देर से निकलना वर्क-लाइफ बैलेंस को बिगाड़ सकता है. लेकिन एक बात तय है कि इस पोस्ट ने शहरी जीवन और काम के बीच संतुलन पर नई चर्चा जरूर छेड़ दी है.