सावधान! OTT प्लेटफॉर्म्स के जाल में फंस रहे हैं आप, 50% यूजर्स को सब्सक्रिप्शन रद्द करने में छूट रहे पसीने!

OTT Dark Patterns: लोकल सर्किल्स के सर्वे ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के डार्क पैटर्न्स के बारे में बताया है. डार्क पैटर्न्स वो चालाक डिजाइन ट्रिक्स होती हैं, जो यूजर्स को अनजाने में फंसाकर उनकी जेब ढीली करवाती हैं. सर्वे में सामने आए 9 बड़े डार्क पैटर्न्स ने साबित कर दिया कि ओटीटी कंपनियां यूजर्स को आसानी से जाने नहीं देना चाहतीं.

OTT platforms dark patterns
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST
  • आधे यूजर्स की मुसीबत
  • यूजर्स नहीं कर पा रहे सब्सक्रिप्शन रद्द

क्या आप भी नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम या हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के दीवाने हैं? फिल्में, वेब सीरीज और ड्रामे का मजा लेना तो आसान है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इन प्लेटफॉर्म्स से छुटकारा पाना कितना मुश्किल हो सकता है? जी हां, एक ताजा सर्वे ने खुलासा किया है कि देश के 50% ओटीटी यूजर्स को सब्सक्रिप्शन रद्द करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोकल सर्किल्स के इस चौंकाने वाले सर्वे में 353 जिलों के 95,000 लोगों ने हिस्सा लिया और जो बातें सामने आईं, वो आपको हैरान कर देंगी! 

दरअसल, मई में लोकल सर्कल्स ने डार्क पैटर्न्स को लेकर ये रिपोर्ट जारी की थी. जिसके बाद से ही इसपर चर्चा शुरू हो गई थी. अब एक बार फिर से ये खबरों में है. जेरोधा के को-फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ ने भी डार्क पैटर्न की आलोचना की है. कामथ के मुताबिक, इस तरह की तरकीबें लोगों को ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर करने के लिए बनाई गई हैं जो उनके हित में नहीं हैं. इसकी मदद से कंपनियां प्रॉफिट कमाती हैं. 

ओटीटी का 'डार्क पैटर्न' जाल
लोकल सर्किल्स के सर्वे ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के डार्क पैटर्न्स के बारे में बताया है. डार्क पैटर्न्स वो चालाक डिजाइन ट्रिक्स होती हैं, जो यूजर्स को अनजाने में फंसाकर उनकी जेब ढीली करवाती हैं. सर्वे में सामने आए 9 बड़े डार्क पैटर्न्स ने साबित कर दिया कि ओटीटी कंपनियां यूजर्स को आसानी से जाने नहीं देना चाहतीं. आइए, इनके बारे में जानते हैं:

1. डिप्राइवरी (83%): यूजर्स को डराया जाता है कि सब्सक्रिप्शन रद्द करने पर वो खास ऑफर या कंटेंट से चूक जाएंगे.  

2. सब्सक्रिप्शन ट्रैप (75%): रद्द करने की प्रक्रिया इतनी जटिल कि यूजर थक-हारकर छोड़ दे.  

3. फोर्स्ड एक्शन (67%): यूजर्स को अनचाहे स्टेप्स जैसे सर्वे भरने या कस्टमर केयर से बात करने के लिए मजबूर किया जाता है.  

4. इंटरफेस इंटरफेयरेंस (58%): कैंसिल बटन को ढूंढना टेढ़ी खीर, क्योंकि उसे छुपाया जाता है.  

5. स्पैम बिलिंग (58%): बिना बताए पैसे काट लिए जाते हैं.  

6. अनकंफर्म कंज़ेंट (42%): यूजर्स की सहमति के बिना सब्सक्रिप्शन रिन्यू कर लिया जाता है.  

7. नगिंग (17%): बार-बार पॉप-अप्स और नोटिफिकेशन्स से तंग किया जाता है.  

8. बेट यूज ऑफ प्राइवेट डेटा (17%): निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल.  

9. एम्बिगुअस वर्ड्स (8%): भ्रामक शब्दों से यूजर्स को गुमराह करना.  

आधे यूजर्स की मुसीबत, सिर्फ 10% को राहत!
सर्वे में शामिल 37% यूजर्स ने बताया कि उन्हें सब्सक्रिप्शन रद्द करने की प्रक्रिया को बार-बार समझना पड़ा. 23% ने कहा कि उन्हें काफी दिक्कतें झेलनी पड़ीं, जबकि 20% को थोड़ी-बहुत परेशानी हुई. हैरानी की बात ये कि सिर्फ 10% यूजर्स ही ऐसे थे, जिन्हें बिना किसी रुकावट के सब्सक्रिप्शन रद्द करने में सफलता मिली. बाकी 10% ने तो जवाब ही नहीं दिया, शायद वो इस जाल में इतना उलझ गए कि बोलने को कुछ बचा ही नहीं!

डार्क पैटर्न्स क्या हैं? 
डार्क पैटर्न्स वो डिजिटल ट्रिक्स हैं, जो यूजर्स को अनचाहे फैसले लेने के लिए मजबूर करते हैं. मान लीजिए, आप सब्सक्रिप्शन रद्द करना चाहते हैं, लेकिन कैंसिल बटन ढूंढने में आपका दिमाग चकरा जाए. या फिर, बिना आपकी मर्जी के आपका सब्सक्रिप्शन रिन्यू हो जाए. ये सब डार्क पैटर्न्स का कमाल है, जो ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जानबूझकर इस्तेमाल करते हैं ताकि आप उनकी सर्विस छोड़ न सकें.

भारत में ओटीटी का बढ़ता क्रेज, लेकिन सावधानी जरूरी!
भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता आसमान छू रही है. सस्ते डेटा और स्मार्टफोन्स की वजह से हर घर में ओटीटी का जादू चल रहा है. लेकिन इस सर्वे ने साबित कर दिया कि ये प्लेटफॉर्म्स यूजर्स को लुभाने के लिए तो आसान रास्ते बनाते हैं, लेकिन बाहर निकलने का रास्ता मुश्किल. चाहे ऐप हो, वेबसाइट हो या कस्टमर सपोर्ट, हर कदम पर यूजर्स को परेशान किया जाता है.

तो क्या करें यूजर्स? बचने का रास्ता क्या है?

-सब्सक्रिप्शन लेने से पहले पढ़ें: टर्म्स एंड कंडीशन्स को ध्यान से पढ़ें.  
-ऑटो-रिन्यूअल बंद करें: सब्सक्रिप्शन लेते समय ऑटो-रिन्यूअल का ऑप्शन बंद करें.  
-स्क्रीनशॉट लें: हर प्रक्रिया का स्क्रीनशॉट लें, ताकि कस्टमर केयर से बहस में सबूत हो.  
-कानूनी मदद लें: अगर प्लेटफॉर्म पैसे काटता है या रद्द करने में अड़चन डालता है, तो उपभोक्ता फोरम में शिकायत करें.  

 लोकल सर्किल्स का ये सर्वे एक आंख खोलने वाला खुलासा है. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का मजा लेना अच्छा है, लेकिन उनकी चालबाजियों से सावधान रहना और भी जरूरी है. अगर आप भी उन 50% यूजर्स में से हैं, जो सब्सक्रिप्शन रद्द करने में परेशान हो चुके हैं, तो अब समय है स्मार्ट बनने का. अपनी जेब और समय दोनों की रक्षा करें. 

 

Read more!

RECOMMENDED