राजस्थान के झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ तहसील के जाखोद गांव से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. गांव का निवासी जोकर नामक व्यक्ति पिछले 9 सालों से मानसिक असंतुलन के चलते लोहे की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है. यह दृश्य मानव संवेदनाओं को झकझोरने वाला है और गांव के लोगों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है.
जोकर की स्थिति और परिवार की मजबूरी
जोकर की पत्नी नरेश देवी ने बताया कि मजबूरी में उन्हें अपने पति को जकड़ा रखना पड़ता है. यदि उन्हें खुला छोड़ दिया जाए तो जोकर खुद को या किसी अन्य व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं. नरेश देवी ने कहा, "हमने कई बार इलाज की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अब मैं ही परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हूं."
जोकर पहले कुएं की खुदाई का काम करते थे, लेकिन करीब 9 साल पहले काम के दौरान उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया. परिवार ने कई बार उन्हें अस्पताल में इलाज के लिए ले जाने की कोशिश की, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ.
मजदूरी करके घर का खर्च चलाती हैं नरेश देवी
जोकर के इस हालत के कारण परिवार की रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हुई है. नरेश देवी मजदूरी करके घर का खर्च और दो बेटियों की पढ़ाई चलाती हैं. परिवार के पास न तो स्थायी आमदनी का सोर्स है और न ही कोई सरकारी मदद. जोकर की स्थिति न केवल उनके जीवन को कठिन बना रही है, बल्कि परिवार के आर्थिक और मानसिक बोझ को भी बढ़ा रही है.
प्रशासन से लगाई मदद की गुहार
नरेश देवी ने प्रशासन और भामाशाहों से मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि यदि जोकर का सही इलाज हो जाए तो न केवल उनका पति ठीक हो सकता है, बल्कि परिवार का जीवन भी आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि जोकर का इलाज हो और परिवार को जीवनयापन में सहारा मिले."
गांव और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह मामला केवल जाखोद गांव के लिए नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक गंभीर सामाजिक समस्या को उजागर करता है. मानसिक रोगियों की देखभाल और उनके परिवारों की मदद के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है.
-हिमांशु शर्मा