समय पर एंबुलेंस न मिलने के कारण गई बीमार पति की जान, अब पत्नी ने तिनका-तिनका जोड़ गांव के लिए शुरू की मुफ्त एंबुलेंस सेवा

राजस्थान में एक महिला ने नेकी की मिसाल पेश करते हुए अपनी बचत के पैसो से गांव के लिए मुफ्त एंबुलेंस सेवा की शुरूआत की है. इस एंबुलेंस की सर्विस सभी जरूरतमंदो को फ्री में मिलेगी.

Dharma Devi
gnttv.com
  • फतेहपुर शेखावटी,
  • 18 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST
  • पति की मौत के बाद लिया प्रण
  • जरूरतमंदो के लिए शुरू की फ्री एंबुलेंस सेवा

सीकर जिले में गांवड़ी निवासी धर्मा देवी ने अपने स्वर्गवासी पति की पेंशन व अन्य बचत के लगभग 10 लाख रुपयों से एंबुलेंस खरीदकर गांव को दान की है. जिससे गांवड़ी सहित आठ गांव-ढाणियों के लोगों को जरूरत पड़ने पर समय से अस्पताल ले जाया जा सकेगा. 

इस नेक काम को करने के पीछे की वजह धर्मा देवी के जीवन का सबसे बड़ा दर्द है. दरअसल, उनके पति फौज से रिटायर्ड सूबेदार थे. लगभग 4 साल पहले उन्हें दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल ले जाने के लिए समय पर गांव में एंबुलेंस नहीं मिली. ऐसे में, अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई. 

पति की मौत के बाद लिया प्रण

धर्मा देवी के बेटे औप गांव के सरपंच शेरसिंह तंवर ने बताया कि उनके पिता रावतसिंह तंवर को चार साल पहले हार्ट अटैक आया था. रात के समय एंबुलेंस या गाड़ी नहीं मिली और अस्पताल पहुंचने में देरी हुई. जिससे उनके पिता नहीं बच सके. उसी समय उनकी मां धर्मा देवी व उन भाईयों ने संकल्प किया कि गांव के लिए एंबुलेंस खरीदकर देंगे. 

गांवड़ी में एक उपस्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां एएनएम बैठती हैं. गंभीर स्थिति में मरीज को नीमकाथाना व जयपुर ले जाना पड़ता है. पहाड़ी एरिया होने से नीमकाथाना से एंबुलेंस आने में भी समय लगता है. पर अब गांव में आसानी से एंबुलेंस मिल सकेगी. एंबुलेंस संचालन का पूरा खर्चा धर्मा देवी वहन करेंगी, जिसमें डीजल, ड्राइवर की सैलेरी, मरम्मत आदि शामिल है. मरीजों से कोई फीस नहीं ली जाएगी. 

जरूरतमंदो के लिए फ्री है एंबुलेंस

धर्मा देवी ने बताया कि जरूरतमंद गंभीर रोगियों के लिए जयपुर एसएमएस अस्पताल तक भी एंबुलेंस सेवा मिलेगी. गांवड़ी से नीमकाथाना के लिए एंबुलेंस निशुल्क रहेगी. एंबुलेंस का संचालन गांवड़ी में एक कमेटी करेगी और इसके लिए एक मोबाइल नबंर भी जारी करेंगे ताकि लोगों को कोई दिक्कत नहीं हो. इसमें वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे जरूरी उपकरण लगे हैं. 

(राकेश गुर्जर की रिपोर्ट)

 

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