Saharanpur: अनोखा पेंटर! हाथ-पैर नहीं करते हैं काम, मुंह से पेंटिंग बनाकर दुनिया को कर रहे हैं हैरान

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 40 साल का एक ऐसा शख्स है, जिसके दोनों हाथ और दोनों पैर काम नहीं करते हैं. उस शख्स का नाम शाह आलम है. शाह आलम मुंह से पेंटिंग बनाते हैं. वो अपनी पेंटिंग के लिए मशहूर हैं. इसी से वो अपने घर का खर्च चलाते हैं. उन्होंने कई मशहूर हस्तियों की पेंटिंग्स बनाई है.

Shah Alam
gnttv.com
  • सहारनपुर, यूपी,
  • 23 जून 2025,
  • अपडेटेड 4:15 PM IST

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले 40 साल के शाह आलम एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कमी को सबसे बड़ी ताकत में बदल दिया. बचपन में ही पोलियो के कारण उनके दोनों हाथ और दोनों पैर काम करना बंद कर दिए थे, जिससे जिंदगी एक बोझ जैसी लगने लगी थी. लेकिन उनकी मां ने उन्हें कभी हार न मानने की प्रेरणा दी और वही प्रेरणा आगे चलकर शाह आलम का हौसला बन गई. आज शाह आलम बेहतरीन पेंटर हैं.

मुंह से बनाते हैं पेंटिंग-
महज ढाई साल की उम्र में उन्होंने मुंह से पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया था और पांच साल की उम्र में ही वह इस कला में इतने पारंगत हो गए थे कि उन्होंने एक फिल्मी सीन को हूबहू कागज पर उतार दिया. यह देखकर परिवार और रिश्तेदार दंग रह गए. धीरे-धीरे शाह आलम ने पेंटिंग को अपना जुनून बना लिया और आज वे अपने मुंह से बनाई गई कलाकृतियों से ना सिर्फ देश, बल्कि विदेशों तक पहचान बना चुके हैं.

मशहूर हस्तियों को बनाई पेंटिंग्स-
शाह आलम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल, सलमान खान, सैफ अली खान जैसे कई मशहूर चेहरों की पेंटिंग बनाई है. मुंबई से लेकर अमेरिका तक उनकी पेंटिंग्स गई हैं. वे ग्रीटिंग कार्ड भी बनाते हैं, वो भी मुंह से कटिंग करके और यह कला पूरी दुनिया में सिर्फ शाह आलम के पास है. उन्होंने बताया कि उनका दिमाग बचपन से ही तेज था, वे दौड़ने-भागने वाले खेलों में मानसिक रूप से खुद को शामिल करते थे. जब कोई बच्चा जीतता तो मान लेते कि उन्होंने जीत हासिल की.

पेंटिंग से चलाते हैं घर का खर्च-
शाह आलम ने जहां भी पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग लिया, प्रथम स्थान ही पाया. मुश्किलें तो बहुत आईं, आर्थिक तंगी, सामाजिक चुनौतियां और शारीरिक सीमाएं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उनका सपना है कि वे अपनी कला के बलबूते दुनिया में नाम कमाएं और सरकार से उन्हें इस राह में सहयोग की उम्मीद है. आज उनकी शादी हो चुकी है, परिवार की जिम्मेदारियां भी हैं और वे पेंटिंग से ही घर का खर्च चलाते हैं. हालांकि कोरोना के समय उनका काम प्रभावित हुआ, लेकिन फिर भी वे डटे रहे.

शाह आलम बताते हैं कि मेरी उम्र 40 साल है, मैं लगभग ढाई साल की उम्र से बना रहा हूं, बचपन में मुझे 1 साल की उम्र में पोलियो हो गया था, उस समय तक मेरा एक हाथ ठीक था, फिर बाद में मुझे कोई दुर्लभ बीमारी हुई, जिसकी वजह से मेरा दूसरा हाथ भी खराब हो गया. फिर मैंने मुंह से पेंटिंग बनानी शुरू की थी. अब मेरा यह वाला हाथ भी बिल्कुल खराब हो चुका है और अब मैं मुंह से ही पेंटिंग बनाता हूं.

शाह आलम न सिर्फ एक उम्दा कलाकार हैं, वे सिंगिंग, कैरम और शूटिंग जैसे खेलों में भी रुचि रखते हैं. वे देश के लिए प्रेरणा हैं कि अगर हौसला हो, तो कोई भी मजबूरी इंसान को रोक नहीं सकती. उनका जीवन इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि असली ताकत शरीर में नहीं, बल्कि मन और आत्मा में होती है. आज भी वे अपने हुनर से लोगों को चौंका रहे हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि जिस मुकाम के वे हकदार हैं, वह उन्हें अभी तक नहीं मिला है. शाह आलम का जीवन संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास का आदर्श उदाहरण है, जो यह साबित करता है कि अगर इरादे बुलंद हों, तो कोई भी असंभव काम संभव बन सकता है.

(राहुल कुमार की रिपोर्ट)

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