अब बालों को झड़ने से रोकने के लिए एक चौंकाने वाली तकनीक सामने आई है. ये है सैल्मन मछली के स्पर्म से बना इंजेक्शन. यह इलाज स्कैल्प में DNA (पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स) इंजेक्ट कर हेयर फॉलिकल्स को एक्टिव करता है. पहले यह तकनीक साउथ कोरिया में लोकप्रिय थी, अब यूरोप और यूके में भी तेजी से अपनाई जा रही है. दावा है कि यह बालों को दोबारा उगाने में मददगार हो सकता है.
कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि सैल्मन या ट्राउट फिश के स्पर्म से निकाले गए DNA शरीर की कोशिकाओं को एक्टिव कर नए टिशू बनाने में मदद करते हैं, जिससे बालों की ग्रोथ को बढ़ावा मिल सकता है.
पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स आखिर क्या होते हैं?
ये DNA के अंश होते हैं जो प्राकृतिक रूप से सूजन को कम करने वाले होते हैं और फाइब्रोब्लास्ट नाम की कोशिकाओं को एक्टिव करते हैं. फाइब्रोब्लास्ट वही कोशिकाएं हैं जो हमारी त्वचा की मजबूती और स्ट्रक्चर को बनाए रखती हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ये घट जाती हैं.
बालों के लिए इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है?
डॉक्टरों के अनुसार, अगर इंजेक्शन स्कैल्प में 3 से 4 मिमी गहराई तक दिया जाए, तो यह हेयर फॉलिकल्स को एक्टिव कर सकता है. लेकिन अगर सिर्फ 1 मिमी तक इंजेक्शन दिया जाए, तो यह सिर्फ कोलेजन को बढ़ाएगा, बालों की ग्रोथ पर ज्यादा असर नहीं होगा.
कितने सिटिंग्स में असर दिख सकता है?
आमतौर पर मरीजों को तीन से चार सिटिंग्स की सलाह दी जाती है, जो हर दो या चार हफ्ते में होती हैं. हर सिटिंग करीब 30 मिनट की होती है. यूके के क्लीनिक में एक सिटिंग की कीमत करीब 42,000 है. हालांकि भारत में अगर यह तकनीक आती है तो कीमत कम हो सकती है.
क्या ये पूरी तरह सेफ है?
पॉलीन्यूक्लियोटाइड्स के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे कि हल्का खून आना, सूजन, सिरदर्द या इंजेक्शन साइट पर जलन. लेकिन अभी तक किसी गंभीर साइड इफेक्ट की रिपोर्ट नहीं आई है.
क्यों झड़ने लगते हैं बाल?
एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया यानी मेल पैटर्न बाल्डनेस सबसे आम कारण है, जो 40-50% पुरुषों को प्रभावित करता है. यह जेनेटिक और हार्मोनल बदलाव के कारण होता है और सिर के आगे और क्राउन में बाल कम हो जाते हैं.