कंपनियों में Gen Z युवाओं का बढ़ता दखल अब मैनेजमेंट के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. सैन फ्रांसिस्को की कई कंपनियां अपने Gen Z वर्क फोर्स से परेशान हो चुकी हैं. कंपनियों का कहना है कि Gen Z ऑफिस को अपना बेडरूम समझने लगे हैं. महीने भर में प्रमोशन की डिमांड करते हैं, अजीब से कपड़ों में ऑफिस आते हैं और अपने मैनेजर्स का कहा भी नहीं सुनते हैं.
सैन फ्रांसिस्को स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, Gen Z कर्मचारियों के व्यवहार से परेशान कंपनियां अब एटिकेट कोच की मदद ले रही हैं. टेक्नोलॉजी हब माने जाने वाले Bay Area में बीते दो महीने में ऐसे एटिकेट वर्कशॉप्स की डिमांड 50% तक बढ़ गई है.
90 मिनट की क्लास की फीस 2 लाख से ज्यादा
‘सिविलिटी और एटिकेट कोच’ रोजालिंडा रैंडल बताती हैं कि उनके क्लाइंट्स में स्टैनफोर्ड रिसर्च पार्क जैसी संस्थाएं और बड़ी टेक कंपनियां शामिल हैं. ये कंपनियां 2.1 लाख तक खर्च कर रही हैं ताकि युवा कर्मचारियों को सिखाया जा सके कि ऑफिस के ब्रेक रूम में सफाई कैसे रखें, पर्सनल हाइजीन क्या होती है और ड्रेस कोड क्यों जरूरी है.
कुछ कंपनियां बना रही हैं 'प्लेबुक'
कई कंपनियां Gen Z कर्मचारियों के लिए ‘ऑफिस प्लेबुक’ तैयार कर रही हैं जिसमें लिखा जा रहा है, ईमेल का प्रोफेशनल साइन-ऑफ क्या हो, मीटिंग में कैसे बैठें, ऑफिस चैट प्लेटफॉर्म पर कैसे चैट करें. कुछ कंपनियां इमोशनल इंटेलिजेंस और कम्युनिकेशन स्किल्स पर भी अलग से ट्रेनिंग दे रही हैं.
जेन Z बोले, बॉस भी रात 10 बजे मैसेज करते हैं
इसके विपरीत Gen Z के युवा भी कहते हैं कि बॉस खुद कोई प्रोफेशनलिज्म नहीं दिखाते. एक 23 साल के इंजीनियर ने कहा, “सच बोल रहा हूं, मेरा मैनेजर रात 10 बजे मैसेज करता है. ये ठीक नहीं है.” एक अन्य कर्मचारी ने ऑनलाइन लिखा, “अब तक उस 'वर्क-लाइफ बैलेंस' का इंतजार कर रहे हैं, जो इंटरव्यू में बताया गया था.”
जॉब इंटरव्यू में पेरेंट्स ला रहे हैं
2024 की Intelligent.com की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 1,000 नियोक्ताओं में से 12.5% ने बताया कि कुछ Gen Z उम्मीदवार अपने माता-पिता को इंटरव्यू में लेकर आए थे. मैनेजर और HR इससे हैरान हैं और इसे “प्रोफेशनलिज्म की कमी” मानते हैं. कंपनियों के अलावा कई यूनिवर्सिटीज भी जो अपने स्टूडेंट्स के लिए एटिकेट डिनर्स आयोजित कर रही हैं ताकि छात्र-छात्राएं जॉब मार्केट में प्रोफेशनल व्यवहार सीखकर उतरें.