घर के वेस्ट कपड़ों से बनाई इतनी सारी चीजें, बड़े-बड़े ब्रांड दे रहे ऑफर

पुराने कपड़े, पुराने समान को अक्सर हम वेस्ट समझ कर फेंक देते हैं लेकिन अगर इन वेस्टेज को नया रूप दे दिया जाए तो कितनी बचत होगी और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा.

मिनाक्षी
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 5:57 PM IST
  • पुराने कपड़े को दे रही हैं नया रूप
  • बड़े ब्रांड भी अब कर रहे सपोर्ट

शायद ही ऐसा कोई हो जिसके घर में पुराने या थोड़े कटे-फटे कपड़े न हो. पुराने मतलब ऐसे कपड़े जिनका इस्तेमाल करना अब बंद हो गया हो. कई बार हमारे दिमाग में यह सवाल भी आता है कि आखिर इन कपड़ों के वेस्ट का किया क्या जाए. अधिकतर लोग ऐसे पुराने कपड़ों को या तो दूसरों को दान कर देते हैं या फेंक देते हैं. ऐसे में दिल्ली के छतरपुर की मीनाक्षी की कहानी काफी प्रेरणा से भरी है. मीनाक्षी और उनकी पूरी टीम पुरानी चीजों से खासकर पुराने कपड़ों से नई-नई चीजें बनाती हैं. मीनाक्षी ने पुराने समानों और कपड़ों से बैग, क्रिसमस ट्री, हैंडबैग, मोबाइल कवर और लैपटॉप बैग जैसी तमाम चीजें बनाई हैं. अपने इन प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए मीनाक्षी ने 'Use me' नाम से अपना ब्रांड शुरू किया है और इस नाम से डस्टबिन भी आया है.

बेस्ट ऑफ वेस्ट के फॉर्मूले पर कर रहे काम

 मीनाक्षी शर्मा कहती हैं कि बचपन से ही  उनके घर का एनवायरमेंट ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ के फॉर्मूले पर काम करता आया है. मिनाक्षी आज एक ‘अपसायक्लिंग आर्टिस्ट’हैं. वो कहती हैं कि हम पुराने कपड़ों का इस्तेमाल कर बैग, पर्दे, कालीन जैसे नए प्रोडक्ट तैयार करते हैं. वो कहती हैं कि उनके इस काम को अब बड़े-बड़े ब्रांड भी सपोर्ट करने लगे हैं.

कपड़ों के वेस्ट से बनाया क्रिसमस ट्री

मिनाक्षी पिछले 10 सालों से हर महीने 200 किलो से ज्यादा पुराने-बेकार कपड़ों को लैंडफिल में जाने से रोक रही हैं. उनका कहना है कि लोग जब वेस्ट की बात करते हैं तो सिर्फ प्लास्टिक वेस्ट की बात करते है कई लोगों को यह पता ही नहीं है कि प्लास्टिक की तरह कपड़ा भी बहुत दिनों तक मिट्टी में गलता नहीं है और उस को नुकसान पहुंचाता है. मीनाक्षी कहती हैं कि वह ऐसे कई सारे इवेंट बेस्ड चीजें भी तैयार करती है, जैसे बर्थडे पार्टी या फिर क्रिसमस पार्टी के लिए.  इसका मकसद यही है कि लोग प्लास्टिक का इस्तेमाल न करके रिसाइकिल चीजों का इस्तेमाल करें.

पहले सिर्फ गृहणी थी अब पैसे भी कमाती हूं

मीनाक्षी अपने इस काम से कई बेरोजगार महिलाओं को रोजगार का मौका भी दे रही हैं. शायरा और प्रियंका मीनाक्षी के पास काम करती हैं. वह बताती हैं कि उनके तीन बच्चे हैं लेकिन घर में इनकम का कोई जरिया नहीं था. फिर मीनाक्षी से मिली तो उन्हें लगा कि यह काम आसान भी है और इसमें पैसे भी ठीक-ठाक मिल जाते हैं. शायरा कहती हैं कि वह घर बैठकर भी इस काम को कर लेती हैं. वहीं प्रियंका बताती हैं कि उनकी उम्र महज 22 साल है. यहां पर पैसों के लिए कम सीखने के लिए ज्यादा आती हैं. वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं और अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती हैं.

मीनाक्षी अपनी विमेन टीम के साथ मिलकर एक बदलाव लाने की कोशिश में लगी हुई हैं. मीनाक्षी कहती हैं कि लोगों को यह समझना चाहिए कि किसी भी चीज को फेंकना बहुत आसान है लेकिन उस चीज से कोई नई चीज बना लेना न सिर्फ एक कला है बल्कि इससे पर्यावरण को भी आप बहुत फायदा पहुंचाते हैं.

 

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