यूपी रोडवेज की पहल! अब भूलकर भी नहीं आएगी ड्राइवर को नींद, 600 बसों में लगी हाईटेक डिवाइस, हर दिन बच रहे 2 बड़े हादसे!

जब यह एंटी स्लीप डिवाइस शुरू में लगाई गई, तो हर दिन 50-60 अलर्ट आते थे. इनमें से कई फॉल्स अलर्ट भी थे, क्योंकि ड्राइवर इस नई तकनीक को समझ नहीं पा रहे थे. लेकिन अब ड्राइवर इस डिवाइस के आदी हो चुके हैं. वे बीच-बीच में हल्की-फुल्की हलचल करते रहते हैं.

एंटी स्लीप डिवाइस
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 02 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

क्या आप रात में यूपी रोडवेज की बसों में सफर करते हैं और ड्राइवर की झपकी से डरते हैं? तो अब टेंशन छोड़िए, क्योंकि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने रात के सफर को सुपर सेफ बनाने के लिए एक गजब की पहल शुरू की है! 600 बसों में अब एंटी स्लीप डिवाइस लग चुकी है, जो ड्राइवर को झपकी लेते ही तुरंत अलर्ट कर देती है. यह हाईटेक डिवाइस इतनी शानदार है कि हर दिन औसतन दो बड़े हादसों को रोक रही है! 

क्या है एंटी स्लीप डिवाइस का जादू?  
एंटी स्लीप डिवाइस एक हाईटेक सेंसर युक्त उपकरण है, जो बस के स्टेयरिंग और एक्सीलेटर से जुड़ा होता है. अगर ड्राइवर कुछ सेकंड तक कोई हरकत नहीं करता- यानी स्टेयरिंग या एक्सीलेटर पर कोई गतिविधि नहीं दिखती- तो यह डिवाइस तुरंत हरकत में आ जाती है. पहले तो यह एक हल्की बीप की आवाज निकालती है, और अगर ड्राइवर फिर भी न जागे, तो जोरदार अलार्म बजने लगता है.

यह अलार्म इतना तेज होता है कि न केवल ड्राइवर, बल्कि बस में बैठे सारे यात्री भी सतर्क हो जाते हैं! यानी ड्राइवर की नींद उड़ना पक्का! इस डिवाइस की वजह से ड्राइवर को हर पल चौकन्ना रहना पड़ता है, जिससे हादसों का खतरा काफी कम हो गया है. 

डबल ड्राइवर और जीपीएस ने बढ़ाई सुरक्षा  
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के एमडी मासूम अली सरवर ने बताया कि यह पहल सिर्फ एंटी स्लीप डिवाइस तक सीमित नहीं है. निगम ने स्पीड लिमिटिंग डिवाइस और जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम भी सभी बसों में लगाए हैं. ये सिस्टम सुनिश्चित करते हैं कि बसें तय गति से ज्यादा न चलें और उनकी लोकेशन पर हर वक्त नजर रखी जा सके. इसके अलावा, लंबी दूरी की बसों में डबल ड्राइवर की व्यवस्था को अनिवार्य कर दिया गया है. इसका मतलब है कि अगर एक ड्राइवर थक जाए, तो दूसरा ड्राइवर तुरंत स्टेयरिंग संभाल लेता है. 

शुरुआत में आए फॉल्स अलर्ट, अब ड्राइवर बने स्मार्ट  
जब यह एंटी स्लीप डिवाइस शुरू में लगाई गई, तो हर दिन 50-60 अलर्ट आते थे. इनमें से कई फॉल्स अलर्ट भी थे, क्योंकि ड्राइवर इस नई तकनीक को समझ नहीं पा रहे थे. लेकिन अब ड्राइवर इस डिवाइस के आदी हो चुके हैं. वे बीच-बीच में हल्की-फुल्की हलचल करते रहते हैं, जैसे स्टेयरिंग को हल्का मोड़ना या एक्सीलेटर पर दबाव देना, ताकि डिवाइस अलर्ट न दे. इससे न केवल ड्राइवर हर वक्त सतर्क रहते हैं, बल्कि यात्रियों में भी सुरक्षा का भरोसा बढ़ा है. 

निगम के अधिकारियों का कहना है कि यह डिवाइस इतनी कारगर साबित हुई है कि अब इसे बाकी सभी बसों में भी लगाने की योजना है. खास तौर पर लंबी दूरी की बसों में यह डिवाइस जल्द ही अनिवार्य कर दी जाएगी. लक्ष्य एक ही है- हर यात्री का सफर पूरी तरह सुरक्षित करना! यूपी रोडवेज का यह कदम न केवल यात्रियों के लिए राहत की बात है, बल्कि यह सड़क हादसों को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.


 

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