जैसे-जैसे उत्तर भारत में गर्मी अपने चरम पर पहुंच रही है, वैसे ही आम जनमानस के साथ-साथ बेजुबान पशु-पक्षी भी तपती धरती और झुलसते वातावरण में राहत की तलाश कर रहे हैं. इस भीषण गर्मी में जहां इंसान पेयजल की व्यवस्था कर लेता है, वहीं पशु-पक्षियों के लिए पीने का पानी जुटा पाना कठिन हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए वृंदावन की सामाजिक संस्था ‘मेरा वृंदावन’ ने एक सराहनीय पहल की है.
संस्था ने वृंदावन के प्रमुख मंदिरों और परिक्रमा मार्ग में मिट्टी के जल पात्र (घड़े/पात्र) रखवाने का कार्य शुरू किया है. इन पात्रों में नियमित रूप से पानी भरकर उन्हें उन स्थानों पर रखा जा रहा है जहां अक्सर गाय, बंदर, कुत्ते, पक्षी और अन्य जीव-जंतु नजर आते हैं.
सेवा भावना से जुड़ा पुण्य कार्य
संस्था के संरक्षक सौरभ बृजवासी ने बताया, "हर साल गर्मी में हजारों पशु-पक्षी जल के अभाव में दम तोड़ देते हैं. यह दृश्य बेहद दुखद होता है. हम इस बार चाहते हैं कि ऐसा न हो, इसलिए हमने यह जल पात्र सेवा शुरू की है. वृंदावन की गलियों, परिक्रमा मार्ग और मंदिरों के बाहर हमने मिट्टी के पात्र रखवाए हैं, ताकि हर बेजुबान जीव को जल मिल सके."
सौरभ बृजवासी ने आगे कहा, "हम मानते हैं कि पशु-पक्षियों को पानी पिलाना भी पूजा, पाठ और हवन जैसा ही पुण्य कार्य है. जो जल ये जीव पीते हैं, वह उनकी आत्मा को तृप्त करता है और हमें आध्यात्मिक संतोष प्रदान करता है."
महिलाओं को भी सौंपे गए जल पात्र
संस्था ने इस कार्य में स्थानीय महिलाओं को भी जोड़ा है. मिट्टी के पात्र रिक्शे में भरकर विभिन्न स्थानों तक पहुंचाए जा रहे हैं और कुछ पात्र महिलाओं को वितरित किए जा रहे हैं, ताकि वे अपने आस-पास इन्हें रखकर जल सेवा कर सकें. इस पहल से महिलाओं को भी सेवा के कार्य में शामिल होने का अवसर मिल रहा है.
वृंदावन में जगह-जगह हो रही जल पात्र सेवा
परिक्रमा मार्ग हो या बांके बिहारी मंदिर के आसपास का क्षेत्र, संस्था के स्वयंसेवक हर जगह इन जल पात्रों को रख रहे हैं. कई जगहों पर स्वयंसेवक पात्रों में पानी भरते भी देखे गए. इस सेवा कार्य के दौरान संस्था के सदस्य नियमित रूप से इन पात्रों की सफाई और जल पूर्ति का भी ध्यान रख रहे हैं.
समाज के लिए प्रेरणा
वृंदावन जैसे तीर्थस्थल में यह पहल न केवल पर्यावरण और जीव-जंतुओं की रक्षा की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह समाज को यह संदेश भी देती है कि सेवा का अर्थ केवल मनुष्यों की मदद करना नहीं, बल्कि सभी जीवों के प्रति करुणा और दया रखना भी है.
(रिपोर्ट: मदन गोपाल शर्मा)