मेनोपॉज के बाद तलाक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं, जानें क्या है मेनो-डिवोर्स और कैसे बचाएं अपने रिश्ते?

मेनो-डिवोर्स एक नया ट्रेंड है, जिसमें मेनोपॉज या पेरिमेनोपॉज के दौर से गुजर रहीं महिलाएं अपनी शादी और रिश्तों को नए नजरिए से देखने लगी हैं. इस समय हार्मोनल बदलाव, मूड स्विंग और भावनात्मक तनाव बढ़ जाता है और अगर पति का सहयोग न मिले तो रिश्ते की समस्याएं और साफ नजर आने लगती हैं.

मेनोडिवोर्स का ट्रेंड
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST
  • मेनोपॉज रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है?
  • मेनोपॉज के दौर में तलाक क्यों हो रहा है आम

आजकल मेनोडिवोर्स का ट्रेंड तेजी से चर्चा में है. मेनोपॉज से गुजर रही कई महिलाएं इस समय न सिर्फ शारीरिक बदलाव महसूस करती हैं, बल्कि मेंटली और इमोशनली भी खुद को नए सिरे से समझने लगती हैं. इस दौरान रिश्तों, खासकर शादीशुदा जीवन को लेकर सवाल उठना आम हो जाता है. कई मामलों में यही बदलाव तलाक जैसे बड़े फैसले की वजह बन रहा है.

क्या है मेनोडिवोर्स?
मेनोपॉज खुद तलाक की वजह नहीं बनता, लेकिन यह रिश्तों के बारे में दोबारा सोचने का कारण जरूर बन जाता है. हार्मोनल बदलावों के चलते महिलाओं की सोच, आत्मविश्वास और जीवन से अपेक्षाएं बदलने लगती हैं. कुछ महिलाओं को स्वतंत्रता की भावना महसूस होती है और वे यह सोचने लगती हैं कि क्या मौजूदा रिश्ता अब भी उनकी भावनात्मक जरूरतों को पूरा कर रहा है.

मेनोपॉज रिश्तों को कैसे प्रभावित करता है?
मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को मूड स्विंग्स, थकान, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, हॉट फ्लैशेज और इंटीमेसी में बदलाव जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है. ये सभी चीजें शादीशुदा जीवन को सीधे प्रभावित करती हैं.

जब एक पार्टनर यह नहीं समझ पाता कि दूसरा किस दौर से गुजर रहा है, तो रिश्ते में दूरी बढ़ने लगती है. कई बार महिला खुद को अकेला महसूस करने लगती है, वहीं दूसरा पार्टनर यह समझ नहीं पाता कि अचानक व्यवहार में इतना बदलाव क्यों आ गया.

सबसे ज्यादा असर कम्युनिकेशन पर पड़ता है. बातचीत कम होने लगती है, गलतफहमियां बढ़ती हैं और धीरे-धीरे यही बातें बड़े झगड़ों का रूप ले लेती हैं. कई बार ये अस्थायी समस्याएं रिश्ते की बुनियादी कमजोरी समझ ली जाती हैं.

क्या मेनोपॉज से शादी टूटना तय है?
अगर इस दौर को समझदारी और संवेदनशीलता से संभाला जाए, तो यह शादी को और मजबूत भी बना सकता है. जरूरत है सही समय पर सही मदद लेने की. मेडिकल सपोर्ट, काउंसलिंग, थेरेपी और परिवार या दोस्तों का भावनात्मक सहयोग महिलाओं को इस बदलाव से उबरने में मदद कर सकता है. जब पार्टनर मेनोपॉज के बारे में समझने की कोशिश करता है और महिला की भावनाओं को गंभीरता से लेता है, तो रिश्ते में भरोसा बना रहता है.

तलाक से पहले क्या करें?
मेनोडिवोर्स जैसे बड़े फैसले से पहले कपल्स को एक-दूसरे के साथ समय बिताना चाहिए, खुलकर बात करनी चाहिए और जरूरत हो तो प्रोफेशनल मदद लेनी चाहिए. मेनोपॉज को एक साझा चुनौती की तरह लेना, न कि व्यक्तिगत समस्या की तरह, रिश्ते को बचा सकता है.

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं. अगर दोनों पार्टनर धैर्य, समझ के साथ आगे बढ़ें, तो फैसले भावनाओं में बहकर नहीं बल्कि समझदारी से लिए जाते हैं.

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