Rajasthan Unique Wedding
Rajasthan Unique Wedding सुनने में अटपटा लगे, लेकिन सच है. राजस्थान में एक ऐसी भी शाही शादी हुई, जिसमें दूल्हा ऊंट पर सवार होकर दुल्हन लेने पहुंचा. दूल्हे के साथ ही बाराती भी ऊंट पर सवार थे. 11 ऊंटों पर सवार दूल्हा-बाराती ढााई घंटे में 14 किलोमीटर का सफर तय कर दुल्हन के घर पहुंचे.
लाेग पूछते रहे बारात कौन से रूट से जाएगी
दरअसल, झंझनू के बिसाउ के सीताराम जालवाल के बेटे तरूण की शादी सीकर जिलें के रामगढ़ के गोपीचंद छापोला की बेटी मनीषा से हुई. दूल्हे के दादा की इच्छा थी कि पोते की बारात ऊंटों पर निकले. ऐसे में तय किया गया कि बारात ऊंटों पर ही निकाली जाएगी. इसके लिए बीते 5 महीनों से इसको लेकर तैयारी कर रहे थे. लाेग पूछते रहे बारात कौनसे रूट से जाएगी.
पुरानी संस्कृति को वापस जिंदा किया गया
दूल्हे के पिता का कहना है कि ऊंट से बारात निकालने का जिसने भी सुना, उन्होंने इसकी प्रशंसा की है. दूल्हे ने कहा, मुझे खुशी है कि मेरी बारात भी मेरे दादा की तरह ऊंटों पर निकली. अब लोग ज्यादातर गाड़ियों या हेलिकॉप्टर से बारात निकालते हैं, लेकिन मेरे दादा की इच्छा थी कि मेरी बारात परंपरा के अनुसार ही निकले. मुझे गर्व है कि पुरानी संस्कृति को वापस जिंदा किया गया.
राजस्थान में ऊंटों पर बारात निकालने की यह परंपरा
इस बारात ने न केवल शादी समारोह को बेहद यादगार और खास बनाया, बल्कि यह एक सांस्कृतिक संदेश भी सामने लाया. इसने यह साफ किया कि आधुनिक जमाने की नई परंपराओं और फैशनेबल अंदाज के बीच भी अपनी पुरानी सांस्कृतिक विरासत को न भूलना चाहिए. दूल्हा और परिवार ने यह दिखाया कि पुराने रीति-रिवाजों का सम्मान करना और उन्हें नई पीढ़ी के साथ जोड़ना कितना महत्वपूर्ण है. ऊंटों पर बारात निकालने की यह परंपरा, जो पहले पीढ़ियों में चलती थी, आज भी जिंदा रह सकती है और लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम कर सकती है.
-राकेश गुर्जर की रिपोर्ट