मधुमक्खी पालन से जिंदगी बदल रही हैं जमुई की महिलाएं, बड़ी कंपनी से किया समझौता

बिहार के जमुई में महिलाएं मधुमक्खी पालन कर रही हैं और इससे अपनी जिंदगी को बेहतर बना रही हैं. महिलाओं से शहद खरीदने के लिए एक बड़ी कंपनी से समझौता भी हुआ है.

जमुई में महिलाएं कर रही हैं मधुमक्खी पालन
gnttv.com
  • जमुई,
  • 20 मई 2022,
  • अपडेटेड 9:06 PM IST
  • जमुई की महिलाएं कर रही हैं मधुमक्खी पालन
  • बड़ी कंपनी से किया समझौता

बिहार के जमुई में महिलाएं अपने हाथों से अपनी किस्मत बदल रही हैं और इसका जरिया बन रहा है मधुमक्खी पालन. जो शहद ये महिलाएं बना रही हैं वो स्वाद में ही नहीं, बल्कि इनकी जिंदगी में भी मिठास घोल रहा है. शहद उत्पादन के जरिए महिलाओं की आमदनी हो रही है और वो आत्मनिर्भर बन रही हैं.

मधुमक्खी पालन से बेहतर हो रही जिंदगी-
जमुई जिले की आदिवासी महिलाएं न केवल प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रही हैं. बल्कि खुद के और अपने परिवार के लिए बेहतर जिंदगी के सपने को भी संवार रही हैं. जंगल और पहाड़ों में रहने वाली झाझा और चकाई प्रखंड की आदिवासी महिलाएं शहद उत्पादन में जुटी हैं. मधुमक्खी पालन कर ये महिलाएं आर्थिक रूप से सबल बन रही हैं और समाज की प्रगति में अपना योगदान भी दे रही हैं.

डाबर कंपनी से हुआ है समझौता-
मुख्यमंत्री बागवानी मिशन एवं जीविका के संयुक्त तत्वावधान में इन्हें प्रशिक्षित किया गया है. प्रशिक्षण के बाद हर महिला को मधुमक्खी पालन वाले ऐसे 10 बॉक्स दिए गए हैं. हालांकि इस मामले में इन महिलाओं को और भी मदद की दरकार है. गुड न्यूज ये है कि जीविका और डाबर कंपनी के बीच समझौता भी हो चुका है. इसके तहत डाबर कंपनी इन महिलाओं से शहद खरीदेगी. मतलब ये कि शहद बेचने के लिए इन्हें बाजार जाने की जरूरत नहीं.

सैकड़ों महिलाएं कर रही शहद उत्पादन-
फिलहाल शहद उत्पादन में  बाराकोला और ताराकुरा गांव की 50 महिलाएं लगी हैं तो चकाई प्रखंड में 60 महिलाएं इस काम में लगी हैं. उम्मीद है कि इनसे प्रभावित होकर जल्द ही और भी महिलाएं शहद उत्पादन से अपने और घरवालों के जीवन में मिठास घोलने की कोशिश करेंगी.

(जमुई से राकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट)

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