कभी-कभी जिंदगी में सबसे छोटी मदद भी बड़ा चमत्कार बन जाती है. ऐसा ही हुआ ऑस्ट्रेलिया की 68 साल की सैंडी गिलार्ड के साथ. जिनकी जान एक छोटी सी मैगपाई चिड़िया ने बचा ली. वो ही चिड़िया जिसे सैंडी ने सालों पहले मौत के मुंह से बचाया था.
जब जिंदगी और मौत के बीच खड़ी थीं सैंडी
साल 2020 की बात है. वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया के दूरदराज इलाके एस्पेरेंस में रहने वाली सैंडी गिलार्ड एक दो-मंजिला खिड़की से गिर गईं. गिरते ही वो बेहोश हो गईं. सिर में गंभीर चोट और दाहिना हाथ भी बुरी तरह से उखड़ गया. अगर वक्त पर कोई मदद नहीं पहुंचती, तो शायद वे आज हमारे बीच न होतीं. लेकिन तब एक नन्हा फरिश्ता उनकी जिंदगी में चमत्कार बनकर आया. ये फरिश्ता था मैगपाई चिड़िया जैलीबीन.
जैलीबीन को कभी सैंडी ने बचाया था
यह वही जैलीबीन थी जिसे तीन साल पहले सैंडी ने जमीन पर घायल पड़ा पाया था. वह उड़ नहीं सकती थी और बहुत छोटी थी. सैंडी जीवन भर घायल पक्षियों और जानवरों की सेवा करती रही हैं. ऐसे में सैंडी ने जैलीबीन को अपने घर लाकर उसकी देखभाल की. जैलीबीन उनके पोते के साथ खेलती थी, घर की बालकनी पर बैठती थी और हर सुबह दरवाजे पर आकर अपनी ‘मैम’ को हेलो कहती थी.
ऐसे जैलीबीन ने चुकाया एहसान
गिरने के बाद बेहोश पड़ी सैंडी को जब होश आया तो उन्होंने महसूस किया कि कोई उनके माथे पर हल्की-हल्की थपकियां दे रहा है. वह जैलीबीन थी, जो अपनी चोंच से उन्हें जगा रही थी. उसकी कोमल पुकार और लगातार थपथपाने से सैंडी को होश आया और उन्होंने किसी तरह अपने पति को फोन किया. समय पर एम्बुलेंस आई और उन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों ने बाद में बताया कि अगर कुछ और देर हो जाती, तो वे नहीं बच पातीं.
जीवन की सबसे कठिन लेकिन जरूरी विदाई
अब सैंडी ने जैलीबीन को अलविदा कह दिया है और खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ दिया है. यह फैसला उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत कठिन था, क्योंकि जैलीबीन और अन्य पक्षी अब उनके साथ नहीं हैं. लेकिन उनके दिल में इस बात की तसल्ली है कि वे जिन पक्षियों की देखभाल करती रहीं, उनमें से कई आज खुले आसमान में उड़ रहे हैं.