तिलक भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. हमारे शास्त्रों में तिलक को केवल सजावट नहीं, बल्कि हमारे इष्ट देव की पहचान, आस्था का प्रतीक और अध्यात्मिक शक्ति का स्रोत माना गया है. स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो प्रतिदिन तिलक लगाता है, वह अनगिनत जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है.
गणपति तिलक: गणपति तिलक सिंदूर और चंदन से बना होता है. गणेश पुराण में कहा गया है कि गणपति तिलक धारण करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और कार्य सिद्ध होते हैं.
दत्त संप्रदाय का तिलक: दत्त संप्रदाय का तिलक त्रिपुण्ड के ऊपर अर्धचंद्र या त्रिशूल का चिन्ह होता है. गुरु चरित्र ग्रंथ में बताया गया है कि दत्तात्रेय के भक्त त्रिपुण्ड के ऊपर अर्धचंद्र से गुरु की कृपा प्राप्त करते हैं.
सौर तिलक: सौर तिलक लाल या केसरिया गोल तिलक होता है, जो सूर्य देव, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है. ब्रह्मांड पुराण में कहा गया है कि सौर तिलक धारण करने से स्वास्थ्य, तेज और आयु में वृद्धि होती है.
ब्रज तिलक: ब्रज तिलक वल्लभ संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा लगाया जाता है. यह यमुना जी की पवित्र मिट्टी और चंदन से बनाया जाता है. भागवत पुराण में इसका उल्लेख है कि जो श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित हो, वह ब्रज की धूल का तिलक धारण करता है.
गोपीचन्दन तिलक: गोपीचन्दन तिलक गौडीय, वैष्णव और माधव परंपरा के भक्तों द्वारा लगाया जाता है. यह पीले गोपीचन्दन से बना 'उ' आकार का तिलक होता है. स्कंद पुराण में कहा गया है कि गोपीचन्दन से तिलक करने वाला शरीर स्वयं विष्णु का मंदिर बन जाता है.
देवी उपासकों का तिलक लाल कुमकुम का गोल बिंदु होता है. यह महाशक्ति की ऊर्जा और आज्ञा चक्र का प्रतीक है. देवी भागवत पुराण में इसे शक्ति पूजा का द्योतक बताया गया है.
उर्ध्व पुण्ड तिलक: वैष्णव परंपरा में दो या चार उर्ध्व रेखाओं से बना तिलक सफेद चंदन से बनाया जाता है. बीच में लाल या पीली रेखा होती है, जो भगवान विष्णु के चरणों का प्रतीक है. पद्म पुराण में बताया गया है कि उर्ध्व पुण्ड तिलक धारण करने से भक्त पर सदैव श्रीहरि की कृपा बनी रहती है.
त्रिपुण्ड तिलक: त्रिपुण्ड तिलक शिव भक्तों का प्रतीक है. यह तीन क्षितिज रेखाओं से बना होता है, जो भस्म या विभूति से माथे पर लगाई जाती हैं. बीच में लाल बिंदु होता है. त्रिपुण्ड तिलक तीन अशुद्धियों के नाश का प्रतीक है. शिवपुराण और बिदेश्वर संहिता में इसे शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक बताया गया है.