रामनगरी अयोध्या में श्रद्धा और कला का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब कर्नाटक से लाई गई सोने व हीरे से जड़ित प्रभु श्रीराम की भव्य प्रतिमा का विधिवत स्थापना और अनावरण किया गया. इस ऐतिहासिक अवसर पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्रतिमा का अनावरण किया.
2.5 करोड़ की प्रतिमा-
करीब 2.5 करोड़ रुपये मूल्य की यह अलौकिक प्रतिमा अयोध्या के यात्री सुविधा केंद्र में स्थापित की गई है, जहां दर्शनार्थियों के लिए इसे सुलभ बनाया गया है. बता दें प्रतिमा को बेंगलुरु के एक प्रसिद्ध चित्रकार एवं शिल्पकार द्वारा तंजौर शैली में निर्मित किया गया है, जो अपनी भव्यता सूक्ष्म कलाकारी और स्वर्णाभूषणों के प्रयोग के लिए विश्वविख्यात मानी जाती है.
बेंगलुरु से अयोध्या भेजी गई प्रतिमा-
विशेष बात यह है कि इस बहुमूल्य स्वर्ण और रत्नजड़ित प्रतिमा को बेंगलुरु से डाक के माध्यम से अयोध्या भेजा गया. प्रतिमा में शुद्ध सोने के साथ ही हीरे एवं अन्य बहुमूल्य रत्नों का प्रयोग किया गया है, जिससे प्रभु श्रीराम की दिव्य छवि और अधिक आलोकित होती है. तंजौर शैली की यह कृति न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय पारंपरिक कला और शिल्प कौशल का भी उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है.
विश्व पटल पर अयोध्या की मजबूत पहचान-
अनावरण के अवसर पर मौजूद श्रद्धालुओं ने इसे प्रभु श्रीराम के वैभव और अयोध्या की बढ़ती वैश्विक पहचान से जोड़ा. राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन गतिविधियों में निरंतर वृद्धि हो रही है, और यह स्वर्णिम प्रतिमा उसी श्रृंखला की एक और ऐतिहासिक कड़ी मानी जा रही है.
श्रद्धालुओं का कहना है कि इस प्रतिमा के दर्शन से न केवल आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है, बल्कि भारतीय कला परंपरा की समृद्ध विरासत का भी साक्षात्कार होता है. अयोध्या एक बार फिर विश्व पटल पर आस्था, संस्कृति और कला के केंद्र के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान मजबूत करती दिख रही है.
(मयंक शुक्ला की रिपोर्ट)
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