भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या एक बार फिर दीपोत्सव 2025 के दिव्य प्रकाश से जगमगाने को तैयार है. अयोध्या में तीन दिवसीय दीपोत्सव का शुभारंभ 17 अक्टूबर से हो रहा है और इसका समापन 19 अक्टूबर 2025 को होगा. दीपोत्सव के दौरान सरयू घाट पर 26 लाख से अधिक दीये जलाए जाएंगे. 2100 भक्त सामूहिक महाआरती में हिस्सा लेंगे. इससे दो नए विश्व रिकॉर्ड स्थापित होंगे. इस बार बिना पास के दीपोत्सव में एंट्री नहीं मिलेगी. यदि आप भी दीपोत्सव में हिस्सा लेना चाह रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि कैसे पास बनवा सकते हैं?
एक दीया राम के नाम
अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव में जो भक्त व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं हो पाएंगे, उनके लिए अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद ने एक अनूठी डिजिटल पहल 'एक दीया राम के नाम' शुरू की है. इस पहल के तहत विश्व भर के भक्त 'दिव्य अयोध्या' ऐप के माध्यम से भगवान राम के लिए वर्चुअल दीया जला सकेंगे और अपनी प्रार्थनाएं अर्पित कर सकेंगे.
कैसे मिलेगा पास और क्या है पंजीकरण प्रक्रिया
1. अयोध्या में आयोजित होने वाले दीपोत्सव में शामिल होने के लिए मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा.
2. पंजीकरण फॉर्म में ईमेल, मोबाइल नंबर और आईडी प्रूफ (जैसे आधार कार्ड) भरना आवश्यक है.
3. विद्यार्थी अपने स्कूल या कॉलेज के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं.
4. कुछ वीआईपी पास भुगतान पर भी उपलब्ध होंगे.
5. कुछ विशेष पास सीधे जिला प्रशासन की ओर से जारी किए जाते हैं. इसके लिए डीएम कार्यालय से संपर्क करना होता है.
6. डीएम कार्यालय में आवश्यक दस्तावेज जमा कर आवेदन करना पड़ता है.
7. डीएम कार्यालय से जारी पास सीमित संख्या में होते हैं और मुख्यतः अधिकारियों, मीडिया या विशेष अतिथियों को दिए जाते हैं.
साल 2017 में हुई थी दीपोत्सव की शुरुआत
अयोध्या में राम की पैड़ी पर भव्य दीपोत्सव की शुरुआत 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हुई थी. सरकार ने इसे अयोध्या को सजाने और दिवाली को बड़े उत्सव के रूप में मनाने के उद्देश्य से आरंभ किया. उस समय से यह उत्सव हर साल नया विश्व रिकॉर्ड बनाता रहा है. सरयू नदी के तट पर लाखों दीपक जलाकर यह उत्सव पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आकर्षण बन गया है. दीपोत्सव के दौरान मल्टीमीडिया प्रोजेक्शन, लेजर शो और ध्वनि-प्रकाश व्यवस्था के माध्यम से रामायण के दृश्य प्रदर्शित किए जाते हैं. सरयू तट पर रंग-बिरंगे दीयों के बीच ये कार्यक्रम दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. इसके अलावा, भजन, कीर्तन और सांस्कृतिक झांकियों से उत्सव में भारतीय परंपरा की झलक मिलती है.