बांग्लादेश का प्राचीन इतिहास हिंदू धर्म से जुड़ा है. कभी यहां पाल वंश और सेन वंश जैसे हिंदू शासकों का शासन हुआ करता था, जिन्होंने कई हिंदू मंदिरों के निर्माण बांग्लादेश में करवाए थे. सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर से समृद्ध बांग्लादेश में इन दिनों हिंदू हिंसा और उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं. उपद्रवी मंदिरों पर हमले और मूर्तियों की तोड़फोड़ तक कर रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं बांग्लादेश में कितने प्रमुख हिंदू मंदिर और शक्तिपीठ हैं.
1. जसोरेश्वरी शक्तिपीठ
बांग्लादेश में सात शक्तिपीठ और कई हिंदू मंदिर हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक भगवान शंकर के तांडव के दौरान देवी सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई. बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के श्याम नगर उपनगर सातखिरा जिले में जसोरेश्वरी शक्तिपीठ स्थित है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर देवी सती की हथेलियां गिरी थीं. साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी यहां दर्शन कर देवी को स्वर्ण मुकुट अर्पित किया था. यहां पर हर साल काली पूजा का उत्सव से धूमधाम से मनाया जाता है.
2. सुगंधा शक्तिपीठ
बांग्लादेश के शिकारपुर क्षेत्र में सुगंधा नदी के तट पर सुगंधा शक्तिपीठ स्थित है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर देवी सती की नासिका गिरी थी. इस शक्तिपीठ के भैरव त्र्यंबक रक्षक हैं. यहां देवी सती को सुनंदा या उग्रतारा के रूप में पूजा जाता है.
3. महालक्ष्मी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर महालक्ष्मी शक्तिपीठ स्थित है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर देवी सती की गर्दन गिरा था. इसकी पीठ की शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं.
4. जयंती शक्तिपीठ
बांग्लादेश के सिलहट जिले जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती शक्तिपीठ स्थित है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर माता सती की बायीं जंघा गिरी थी.
5. चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के चटगांव जिले के सीताकुंड क्षेत्र में चंद्रनाथ पर्वत पर चट्टल मां भवानी शक्तिपीठ स्थित है. इसे भवानी शक्तिपीठ भी कहा जाता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर देवी सती की ठुड्डी गिरी थी. यह शक्ति पीठ साधना और तप का विशेष केंद्र रहा है.
6. अपर्णा शक्तिपीठ
बांग्लादेश के शेरपुर जिले में करतोया नदी के तट पर अपर्णा शक्तिपीठ स्थित है. यहां पर देवी अपर्णा या भवानी की पूजा होती है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी. यहां भैरव वामन माने जाते हैं. यह स्थल करतोया, यमुनेश्वरी और बूढ़ी तीस्ता तीन नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण त्रिस्रोता भी कहलाता है.
7. स्रवानी शक्तिपीठ
बांग्लादेश के चटगांव जिले के कुमीरा में स्रवानी शक्तिपीठ स्थित है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां पर देवी सती की रीढ़ की हड्डी गिरी थी. माता सती को यहां पर सर्वाणी या श्रावणी के रूप में पूजा जाता है. तंत्र साधना के लिए यह स्थान जाना जाता है.
बांग्लादेश के प्रमुख मंदिर
1. ढाकेश्वरी मंदिर: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में ढाकेश्वरी मंदिर स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बलाल के कराया था. इस मंदिर को साल 1996 में आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय मंदिर का दर्जा दिया गया. यह मंदिर हिंदू देवी ढाकेश्वरी को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है.
2. कांताजी मंदिर: बांग्लादेश के दिनाजपुर शहर के पास कांताजी या कांतानगर मंदिर स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी के अंत में दिनाजपुर के महाराजा प्राणनाथ के संरक्षण में करवाया गया था. यह मंदिर अपने उत्कृष्ट वास्तुशिल्प कला के लिए फेमस है. यह मंदिर भगवान कृष्ण और माता रुक्मिणी को समर्पित है.
3. आदिनाथ मंदिर: बांग्लादेश की मेनाक पहाड़ी की चोटी पर आदिनाथ मंदिर स्थित है. यह मंदिर भगवान शंकर को को समर्पित है. आपको मालूम हो कि महादेव का ही आदिनाथ भी नाम है.
4. पूर्ण चंडी मंदिर: बांग्लादेश के पुष्करणी में पूर्ण चंडी मंदिर स्थित है. यहम मंदिर देवी चंडी को समर्पित है. प्राचीन वास्तुकला से निर्मित यह मंदिर श्रद्धालुओं को मन मोह लेता है.