Basant Panchami 2023: वसंत पंचमी पर क्यों पहने जाते हैं पीले रंग के कपड़े? क्या है सरस्वती पूजा से इसका कनेक्शन जानिए सबकुछ

Basant Panchami 2023: वसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है. वसंत पंचमी के दिन पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके पीछे की मान्यता क्या है आइए जानते हैं.

Basant Panchami 2023
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST
  • वसंत पंचमी का दिन विद्या आरंभ करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है.
  • मां सरस्वती सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं.

Basant Panchami 2023 Date: माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल गुरुवार 26 जनवरी 2023 को वसंत पंचमी मनाई जाएगी. इस दिन विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इस दिन को सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है. मां सरस्वती सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा की पत्नी हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां की कृपा प्राप्त होती है. वसंत पंचमी के दिन पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके पीछे की मान्यता क्या है आइए जानते हैं.

क्यों पहने जाते हैं पीले वस्त्र

देवी सरस्वती (विद्या, कला और संगीत की देवी) को समर्पित यह महत्वपूर्ण दिन भी वसंत की शुरुआत का प्रतीक है. दिलचस्प बात यह है कि पीला रंग इस शुभ दिन से जुड़ा हुआ है. पीला रंग हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है. पीला रंग ऊर्जा और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है. इसके अलावा, सरसों के खेत पीले फूलों से खिल उठते हैं. चूंकि देवी सरस्वती और पीला रंग ज्ञान का प्रतीक है, इसलिए लोग इस रंग को त्योहार से जोड़ते हैं. इसलिए लोग इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं, पीले रंग का भोजन बनाते हैं और अपने घरों को पीले रंग के फूलों से सजाते हैं. वसंत पंचमी का दिन विद्या आरंभ करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है.

पीले रंग का वैज्ञानिक महत्व

पीला रंग का वैज्ञानिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. यह रंग मन को मजबूत करता है. ये रंग हमारे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है जिससे दिमाग में सेरोटोनिन हॉर्मोन निकलता है. जो मूड और फीलिंग्स को अच्छा करता है. पीले रंग की सब्जियां और फल कई बीमारियों से बचाने में भी मददगार होते हैं.

वसंत पंचमी का महत्व

सृष्टि रचते समय ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे शक्ति रूप में छह भुजाओं वाली देवी प्रकट हुई. इनके हाथ में पुस्तक, फूल, कमंडल, वीणा और माला थी. जैसे ही देवी ने वीणा बजाई चारों ओर वेद मंत्र गूंज उठे. इसलिए वसंत पंचमी को देवी सरस्वती का प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है. वसंत पंचमी का दिन विद्या आरंभ करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है. विद्यालयों में इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. ये दिन सभी शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है. कई लोग आज के दिन ही शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाते हैं.
 

 

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