Chhath Puja 2025:  छठ महापर्व पर डूबते और उगते सूर्य देव को क्यों दिया जाता है अर्घ्य? जानें पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व 

Chhath Puja: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ का शुभारंभ 25 अक्टूबर से हो रहा है. 27 अक्टूबर को भगवान भास्कर को संध्याकालीन अर्घ्य और 28 अक्टूबर 2025 को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा. आइए जानते हैं क्यों डूबते और उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है? 

Chhath Puja
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 8:16 PM IST

छठ पूजा, जिसे सूर्य उपासना का महापर्व कहा जाता है, भारत में विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है और इसमें सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की पूजा की जाती है. इस पर्व का उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. इस साल महापर्व छठ का शुभारंभ 25 अक्टूबर से हो रहा है. 27 अक्टूबर को भगवान भास्कर को संध्याकालीन अर्घ्य और 28 अक्टूबर 2025 को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा. इसके साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा. 

चार दिनों की परंपराएं
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जिसमें व्रती सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. दूसरे दिन खरना में गुड़ और चावल की खीर का भोग लगाया जाता है. तीसरे दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है, जिसमें डूबते सूर्य को जल अर्पित किया जाता है. चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.

छठ पूजा का कैलेंडर
1. 25 अक्टूबर 2025, दिन शनिवारः नहाय-खाय
2. 26 अक्टूबर 2025, दिन रविवारः खरना
3. 27 अक्टूबर 2025, दिन सोमवारः संध्याकालीन अर्घ्य
4. 28 अक्टूबर 2025, दिन मंगलवारः प्रातःकालीन अर्घ्य

सूर्य उपासना का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
सूर्य देव को जीवन का आधार माना गया है. उनकी किरणें न केवल ऊर्जा प्रदान करती हैं बल्कि स्वास्थ्य और आरोग्यता का भी स्रोत हैं. छठ पूजा में उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा जीवन के उतार-चढ़ाव को स्वीकारने और हर परिस्थिति में ईश्वर का आभार व्यक्त करने का प्रतीक है.

पौराणिक कथाएं और मान्यताएं
छठ पूजा से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं. कहा जाता है कि माता सीता ने सबसे पहले इस व्रत को किया था. द्वापर युग में सूर्यपुत्र कर्ण जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. महाभारत में द्रौपदी ने अखंड सौभाग्य की कामना के लिए इस व्रत को रखा था.

छठ पूजा की कठिन परंपराएं
इस पर्व में स्वच्छता और सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है. व्रती जमीन पर सोते हैं और चूल्हे पर बने भोजन का सेवन करते हैं. उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जल में खड़े होकर पूजा की जाती है.

ज्योतिषीय दृष्टिकोण
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है. यह व्रत संतान सुख, स्वास्थ्य और सफलता के लिए किया जाता है.

दान और अर्घ्य का महत्व
छठ पूजा में सूर्य से संबंधित वस्तुओं जैसे गेहूं, गुड़ और लाल वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है. अर्घ्य देने के लिए जल में दूध, गंगा जल और फूलों का उपयोग किया जाता है.

छठ पूजा का वैश्विक स्वरूप
यह पर्व अब केवल भारत तक सीमित नहीं है. विदेशों में भी भारतीय समुदाय इसे बड़े उत्साह के साथ मनाता है. छठ पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन चुकी है.

 

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