Dhanteras 2025: धनतेरस पर शनि प्रदोष का महासंयोग, लक्ष्मी-कुबेर और शनिदेव की कृपा से खुलेंगे किस्मत के दरवाजे, जानिए कैसे  

धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर 2025 को है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार शनिवार को धनतेरस पड़ने के कारण शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है. यह संयोग जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लाने के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है.

Dhanteras 2025
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST

धनतेरस का पर्व इस बार 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह पर्व कई दुर्लभ ज्योतिषीय योगों के साथ आ रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार शनिवार को धनतेरस पड़ने के कारण शनि प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है. यह संयोग जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लाने के लिए अत्यंत शुभ माना जा रहा है. त्रयोदशी तिथि के साथ शनि प्रदोष व्रत के कारण शनि देव, महादेव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त हो सकती है.

दुर्लभ ज्योतिषीय योग: हंसराज योग, बुधादित्य योग और ब्रह्म योग
इस धनतेरस पर कई विशेष योग बन रहे हैं, जिनमें हंसराज योग, बुधादित्य योग, ब्रह्म योग और शिवास योग शामिल हैं. हंसराज योग के कारण धन और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. बुधादित्य योग करियर में तरक्की और सफलता के नए अवसर प्रदान करता है. ब्रह्म योग से घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है. शिवास योग शुभ कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है. इन योगों के कारण इस बार धनतेरस का पर्व विशेष रूप से फलदायक है.

पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस पर मां लक्ष्मी, कुबेर देवता और भगवान धनवंतरि की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन सोना, चांदी, तांबे या पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि प्रकट हुए थे, इसलिए उनकी पूजा से अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है. पूजा का शुभ मुहूर्त त्रयोदशी तिथि के दौरान रहेगा.

बाजारों में रौनक और खरीदारी का महत्व
शनिवार को धनतेरस होने के कारण आम नौकरीपेशा लोगों के लिए यह दिन खरीदारी के लिए आदर्श है. ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन की गई खरीदारी से सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा आती है. सोने-चांदी के अलावा अन्य धातुओं के बर्तन खरीदना भी शुभ माना जाता है.

दिवाली के पंच महोत्सव की शुरुआत
धनतेरस के साथ ही दिवाली के पंच महोत्सव की शुरुआत हो जाती है. यह पांच दिवसीय उत्सव सुख, समृद्धि और सौभाग्य से जुड़ा है. धनतेरस के बाद दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाए जाते हैं. इन सभी पर्वों का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है.

अत्यंत शुभ और लाभकारी है धनतेरस
इस बार धनतेरस का पर्व ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत शुभ और लाभकारी है. दुर्लभ योगों के कारण यह दिन जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाने का वादा करता है. पूजा, दान-पुण्य और खरीदारी से इस दिन का लाभ उठाया जा सकता है. दिवाली के महोत्सव की शुरुआत के साथ, यह पर्व उम्मीदों और खुशियों का उजियारा लेकर आएगा.


 

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