Kanwar Yatra: फतेहपुर में 800 किलोमीटर दूर से कावड़ लाए शिवभक्त... बच्चों ने भी तय किया 102 KM का पैदल सफर 

फतेहपुर शहर में इन कांवड़ियों का स्वागत सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि स्थानीय आस्था और संस्कृति की अभिव्यक्ति है. लोगों ने इन भक्तों को अपने घर बुलाकर भोजन कराया, सेवा की और भावनात्मक समर्थन भी दिया.

कांवड यात्रा
gnttv.com
  • फतेहपुर ,
  • 04 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:54 PM IST

 

श्रावण मास के पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा, आस्था और समर्पण का एक अद्भुत दृश्य राजस्थान के फतेहपुर शेखावाटी में देखने को मिला. यहां पांच युवाओं का एक समूह उत्तराखंड के गोमुख (गंगोत्री) से लगभग 800 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा तय कर फतेहपुर पहुंचा. इन शिवभक्तों ने अपने कंधों पर गंगाजल से भरी कावड़ उठाई और पूरे अनुशासन, संयम और शुद्धता के साथ इस यात्रा को पूरा किया.

800 किमी की कठिन यात्रा, सिर्फ आस्था के लिए
इस यात्रा की शुरुआत 10 जुलाई, गुरु पूर्णिमा के दिन गोमुख से हुई. रोहन जोशी, वागीश महाराज, कृष्ण तिवाड़ी, हेमंत सैन और पंकज गोस्वामी ने मिलकर इस यात्रा की योजना बनाई थी. 23 दिनों तक पैदल चलकर, पहाड़ी रास्तों, गर्मी, थकान और कठिनाईयों को पार करते हुए वे रविवार को फतेहपुर शेखावाटी पहुंचे.

इन कांवड़ियों का शहर में हर-हर महादेव के जयकारों, फूल-मालाओं और DJ के साथ स्वागत हुआ. पिंजरापोल गौशाला से लेकर शहर के प्रमुख शिवालयों- पाटा शक्ति मंदिर, सारनाथ मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर, बुद्धगिरी मंडी, अमृतनाथ आश्रम और चकाचक महादेव मंदिर तक कावड़ियों की एक भव्य यात्रा निकाली गई, जहां भोलेनाथ को गंगाजल अर्पित किया गया.

बच्चों ने भी दिखाई अद्भुत श्रद्धा
इस यात्रा का एक और प्रेरणादायक पहलू रहा 7 से 11 साल के बच्चों का 102 किलोमीटर पैदल चलना. छह बच्चों ने यह दूरी तय कर सारनाथ मंदिर में संत रोशननाथ महाराज के सान्निध्य में भगवान शिव पर जल अर्पित किया. बच्चों का यह समर्पण हर किसी के लिए प्रेरणादायक बन गया.

हरियाणा में सेवा भाव की मिसाल
कावड़ यात्रा के दौरान हरियाणा में मिली सेवा ने यात्रियों को भावुक कर दिया. रोहन जोशी बताते हैं, "हमने हरियाणा में चाय, खाना, जूस, दवाई जैसी हर सेवा ली, लेकिन किसी ने एक पैसा तक नहीं लिया. हर जगह पर शिवभक्तों की सेवा में लोग तत्पर दिखे. यह अनुभव आजीवन याद रहेगा."

गोमुख से कावड़ लाने का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में गोमुख से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करना अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है. यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि आत्मिक शुद्धि, तपस्या और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है. कांवड़िये इस जल को अपने-अपने शहरों में शिव मंदिरों में अर्पित कर वातावरण को भी पवित्र करते हैं.

फतेहपुर शहर में इन कांवड़ियों का स्वागत सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि स्थानीय आस्था और संस्कृति की अभिव्यक्ति है. लोगों ने इन भक्तों को अपने घर बुलाकर भोजन कराया, सेवा की और भावनात्मक समर्थन भी दिया.

(रिपोर्ट: राकेश गुर्जर)


 

Read more!

RECOMMENDED