दुनिया भर में कुल्लू घाटी को देव भूमि के नाम से जाना जाता है | एक तरफ जहां कुल्लू में दशहरा और होली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. वहीं कुल्लू में बसंत पंचमी के त्योहार को मनाने का भी अपना अनूठा तरीका है. आज कुल्लू में बसंत पंचमी का त्योहार भगवान् रघुनाथ की भव्य रथ यात्रा से बड़ी धूम धाम से मनाया गया, जिसमें हजारो की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. बसंत पंचमी के साथ ही आज से कुल्लू में होली की शुरुआत भी हो जाती है. यहां बसंत पंचमी के त्योहार को रामायण से भी जोड़ा गया है.
आज दोपहर करीब 2 बजे भगवान रघुनाथ ढोल-नगाड़ों की थाप पर लाव लश्कर के साथ अपने देवालय से रथ मैदान को रवाना हुए, जहां से रथयात्रा निकली. सैकड़ों लोगों ने इस रथ को खींचते हुए ढालपुर मैदान पहुंचाया जहां पर विशेष पूजा-अर्चना हुई. साथ ही इस दौरान राम और भरत के मिलन की रस्म भी अदा की गई. प्रशासन ने भी इस बार कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए पहले की तरह उत्सव मनाने की अनुमति दी है. कुल्लू में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के बाद साल का यह पहला उत्सव होता है, जहां भगवान राम और भरत के मिलन के हजारों लोग गवाह बनते हैं.
साल में दो बार निकलती है रथयात्रा
भगवान रघुनाथ की ये रथयात्रा दशहरा उत्सव के बाद यहां केवल बसंत पंचमी के दिन ही निकलती है. दशहरा उत्सव की ही तरह इस उत्सव के दौरान भी लोगों में भगवान रघुनाथ के रथ तक पहुंचने और रस्सी को खींचने की खूब होड़ लगी रहती है. हर कोई भगवान के रथ को खींचने में अपना योगदान देकर पुण्य कमाता है. भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्ति के लिए बसंत पंचमी के दिन अधिकतर लोग पीले कपड़ों में ही नजर आए और भगवान रघुनाथ को भी पीले ही वस्त्र पहनाए गए. ढालपुर मैदान में हर कोई उत्साह के रंग में नजर आया और राम-भरत के मिलन के बाद हनुमान की अठखेलियां भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रही. केसरी रंग में पूरी तरह रंगा हुआ शख्स जिसे यात्रा के दौरान भगवान हनुमान माना जाता है, जिस भी श्रद्धालु को रंग लगाएगा उसे सौभाग्यशाली माना जाता है.
40 दिन पहले ही होली का आगाज
हर साल की तरह इस साल भी कुल्लू घाटी में 40 दिन पहले ही होली का भी आगाज हो गया है. रथयात्रा के दौरान जहां रघुनाथपुर से लेकर ढालपुर मैदान तक खूब गुलाल उड़ा, वहीं आज से भगवान रघुनाथ जी के दरबार में होली उत्सव तक गुलाल का दौर जारी रहेगा. भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह के कहा कि जब भगवान श्रीराम वनवास के लिए गए थे तो भरत उन्हें मनाने गुरु वशिष्ठ जी के साथ वन में गए थे. भगवान श्री राम ने जब देखा कि कुछ लोग उनकी तरफ आ रहे है तो उन्होंने पवन पुत्र हनुमान को उनके बारे में पता लगाने के लिए भेजा. हनुमान ने बताया कि गुरु वशिष्ठ के साथ भरत आए हैं. फिर श्री राम भरत से गले मिले, उन्हें खड़ाऊं दी और वापस भेज दिया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में होली का त्योहार मार्च में मनाया जाएगा, लेकिन कुल्लू में 40 दिन रघुनाथ जी के चरणों में रंग चढ़ेगा.
हर दिन चढ़ेगा भगवान रघुनाथ के चरणों में गुलाल
मंदिर के पुजारी कमल किशोर ने बताया कि 40 दिन तक हर दिन रघुनाथपुर में होली के गीत गाए जाएंगे और भगवान रघुनाथ जी के चरणों में गुलाल चढ़ाया जाएगा. चूंकि, महंत राजा के गुरु थे. इसलिए पूरे आयोजन में आज तक महंत समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. आयोजन में शामिल हुए स्थानीय निवासी अंशुल पराशर का कहना है कि वह बचपन से ही रघुनाथ भगवान के प्रत्येक त्योहारों का हिस्सा बनने के लिए पहुंचते हैं और बसंत उत्सव का उन्हें बेसब्री से इंतजार रहता है. वहीं रघुनाथ मंदिर पहुंची आशा डोगरा ने कहा कि कुल्लू में रघुनाथ की यात्रा साल में दो बार होती है. हर बार वो रथ यात्रा में शिरकत करने पहुंचती है और मंदिर में पहुंचकर भगवान रघुनाथ के दर्शन भी करती हैं.
(मनमिंदर अरोड़ा की रिपोर्ट)