गणेशोत्सव के अवसर पर जहां हर कोई भक्ति और उत्साह के साथ गणपति बप्पा की प्रतिमाएं सजाता है, वहीं अकोला के प्रसिद्ध मूर्तिकार शरद कोकाटे ने अपनी कला से एक नया इतिहास रच दिया है. उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर मात्र 6 मिनट में इको-फ्रेंडली ‘निर्विकार विघ्नहर्ता गजानन’ की प्रतिमा तैयार की.
दिव्यांग बच्चों के लिए प्रेरणा
शरद कोकाटे पिछले 15 वर्षों से बच्चों और संस्थाओं को इको-फ्रेंडली गणपति प्रतिमा बनाने का निशुल्क प्रशिक्षण देते आ रहे हैं. इस बार उन्होंने अपनी कला के माध्यम से उन दृष्टिबाधित और दिव्यांग बच्चों को नई उम्मीद दी है, जो मानते थे कि वे कभी गणपति प्रतिमा नहीं बना पाएंगे.
इस प्रयास के पीछे उनकी सोच बेहद भावुक है. शरद कहते हैं, “स्कूलों में कई बच्चे गणपति की प्रतिमा बनाते हैं, लेकिन आंखों से दिव्यांग बच्चे पीछे रह जाते हैं. मैंने सोचा, अगर मैं आंखों पर पट्टी बांधकर प्रतिमा बना सकता हूं, तो यह उनके लिए संदेश होगा. गणपति बप्पा की प्रतिमा बनाना केवल देखने वालों का हक नहीं, बल्कि महसूस करने वालों का भी है.”
पर्यावरण संरक्षण की पहल
अकोला में प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की मूर्तियों का चलन घट रहा है. और अब शरद कोकाटे ने घर-घर इको-फ्रेंडली बप्पा की मूर्ति लाने की सोच को नई दिशा दे रहे हैं. उनका मानना है कि मिट्टी की मूर्ति नदी में विसर्जन के बाद फिर से मिट्टी बनकर प्रकृति में समा जाती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता.
कला और संवेदनशीलता का संगम
शरद की यह अनोखी पहल केवल कला का उदाहरण नहीं, बल्कि समाज को संवेदनशीलता और प्रेरणा देने वाली एक मिसाल है. दिव्यांग बच्चों के लिए उनका खास संदेश है, “जब भावनाओं से भक्ति की प्रतिमा गढ़ी जाती है, तो आंखें खुली हों या बंद, बप्पा हर दिल में साकार हो जाते हैं.”
(धनंजय साबले की रिपोर्ट)
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