
Mumbai Lalbaugcha Raja (Photo Credit: PTI)
Mumbai Lalbaugcha Raja (Photo Credit: PTI) पूरे देश में गणेश उत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. 27 अगस्त को बप्पा पधारेंगे. पूरे देश में मुंबई का गणेश उत्सव सबसे भव्य माना जाता है. मुंबई में गणेश चतुर्थी से पहले लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आई है. गणपति का मनमोहक स्वरूप देखने के लिए भारी संख्या में भक्त उमड़ पड़े. लालबागचा राजा के पहले दर्शन हर कोई देखना चाहता है. आखिरकार मुंबई में 24 अगस्त को भक्तों का इंतजार खत्म हो गया.
मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा की पहली झलक गणेश चतुर्थी से दो दिन पहले सामने आई है. भक्तों की भारी भीड़ ने भगवान गणेश के दर्शन और पूजन किए. इस बार गणपति बप्पा स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान है. उनके हाथों में चक्र और शंख हैं. बप्पा ने लाल वस्त्र धारण किए हैं. भक्त इस मनमोहक श्रृंगार को देखकर भावुक हो गए. इस बार गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू होगा और 10 दिनों तक चलेगा.
सनातन धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है. विवाह, यज्ञ या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में उनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है. इसकी भी एक वजह है कि गणेश जी विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि शिव-पार्वती विवाह में भी गणेश जी की पूजा हुई थी. यह दर्शाता है कि गणेश जी अनादि हैं और उनका महत्व हर युग में बना रहता है.
गणेश जी का स्वरूप न केवल धार्मिक बल्कि जीवन के गहरे संदेश भी देता है. उनके चरित्र से हमें अहंकार से मुक्त होने और विवेकपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है. रामचरितमानस के बालकांड में माँ सीता ने स्वयंवर के दौरान गणेश जी का ध्यान कर भगवान राम के लिए धनुष का भार कम करने की प्रार्थना की थी. यह प्रसंग गणेश जी की महिमा को और भी गहराई से समझाता है.
गणेश जी का संदेश है कि ज्ञान का अहंकार नहीं होना चाहिए. उनके स्वरूप से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में अहंकार सबसे बड़ा विघ्न है. गणेश जी बुद्धि और विवेक के देवता हैं. उनकी पूजा हमें सरलता, विचारशीलता, और कर्तव्यपरायणता की ओर प्रेरित करती है. मुंबई में लालबागचा राजा की पहली झलक ने गणेश चतुर्थी के उत्सव की शुरुआत को भक्तिमय बना दिया है. गणपति बप्पा की महिमा और उनका संदेश हर युग में प्रासंगिक है.

लाल बागचा राजा की मूर्ति अपने शाही स्वरूप, आभूषणों और शान के लिए मशहूर है. मुंबई के लालबागचा राजा का यह पंडाल मुंबई की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है. यहां हर वर्ग और धर्म के लोग आते हैं जो एकता और सामूहिकता का प्रतीक है. समाज में जरूरतमंदों की सहायता और दान के लिए भी यह मंडल कार्य करता है.