Kainchi Dham Foundation Day 2025: कैंची धाम के स्थापना दिवस को लेकर जगमग हुआ बाबा नीम करोली आश्रम, पहुंचेंगे 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालु

15 जून 2025 को नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाएगा. इस दिन 3 लाख से श्रद्धालु के जुटने की संभावना है. स्थापना दिवस पर भव्य भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा. कैंची धाम के मेले को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी हैं.

Kainchi Dham Foundation Day 2025
gnttv.com
  • नैनीताल,
  • 14 जून 2025,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST
  • 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस
  • आश्रम में भव्य भंडारे का आयोजन होगा
  • लाखों श्रद्धालुओं के जुटने की संभावना

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में वर्ल्ड फेमस कैंची धाम है. हर साल की इस बार भी 15 जून को कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाएगा. कैंची धाम में 15 जून को प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन किया जाएगा. इसमें लाखों लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे.

कैंची आश्रम में हनुमानजी और अन्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 15 जून को अलग-अलग वर्षों में की गई थी. इस तरह से 15 जून को हर साल प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है. नीम करौली बाबा ने ही कैंची धाम का प्रतिष्ठा दिवस 15 जून को ही तय किया था. 

नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली थी. उन्होंने इस दिन भौतिक शरीर छोड़ा था. उनके अस्थि कलश को कैंची धाम में ही स्थापित किया गया था. इसके बाद बाबा के भक्तों ने बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू किया.

स्थापना दिवस
15 जून 1976 को महाराज जी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक किया गया. उस समय सभी ने नीम करोली बाबा की भौतिक मौजूदगी को महसूस किया गया. फिर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विशिष्ट विधि से बाबा की मूर्ति की स्थापना हुई. इस तरह से नीम करोली बाबा कैंची धाम में गुरुमूर्ति रूप में विराजित हुए. हर साल 15 जून को ही कैंची धाम का स्थापना दिवस मनाया जाता है.

कैंची गांव कैसे बना बाबा का धाम?
बाबा नीम करौली 20वीं शताब्दी में उत्तराखंड आये थे. 1942 में उन्होंने कैंची गांव का पहली बार भ्रमण किया.य उस समय एक स्थानीय ग्रामीण से उनकी भेंट हुई थी. उन्होंने बाबा से पूछा कि उनके अगले दर्शन कब होंगे? तब बाबा ने कहा कि 20 वर्ष बाद मैं फिर कैंची आऊंगा. सन 1962 में बाबा ने दोबारा कैंची की यात्रा की. उस दौरान उन्होंने नदी के तट पर खड़े होकर तट के दूसरी तरफ जहां दो महान संतों प्रेमी बाबा एवं सोमवारी बाबा ने हवन किया था, जाने की इच्छा प्रकट की. 

श्री मां के साथ नदी के साथ चलते हुए 25 मई 1962 के ऐतिहासिक दिन बाबा ने उसी जगह अपने पवित्र पग रखे, जहां आज कैंची मंदिर है. सन 1965 में हनुमान मंदिर को पूरा किया गया. उसी साल 15 जून को पहली बार भंडारा का आयोजन किया गया. इसके बाद से हर साल इसी दिन मंदिर परिसर में प्रतिष्ठापन समारोह आयोजित किया जाता है.

24 लाख से ज्यादा श्रद्धालु
बाबा ने कहा था एक समय ऐसा आएगा की कैंची धाम में भक्तों का सैलाब आएगा और यहां एक छोटा शहर बस जाएगा. कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है. बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के अवतार थे. कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता. यहां मांगी गई मनोकामना पूर्णतया फलदायी होती है.

बाबा मंदिर परिसर एक दिव्य शांति स्थल है जहां सभी सूक्ष्म में विलीन होने की अनुभूति करते हैं. विभिन्न धर्मों के लोग इस दिव्य स्थल पर आते हैं. बीते वर्ष कैंची धाम में करीब 24 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. इससे पहले के वर्षों में यह आंकड़ा महज 8 लाख के आसपास रहता था. इस वर्ष 15 जून को मनाए जाने वाले कैंची धाम स्थापना दिवस के मौके पर श्रद्धालुओं की संख्या 2.5 से 3 लाख तक पहुंचने की संभावना है. 

होगा भव्य भंडारा
कैंची धाम की धारण क्षमता सीमित है जबकि भीड़ उससे कई गुना अधिक होती है. इससे यातायात व्यवस्था और सुरक्षा पुलिस प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी. कहते हैं कि भोजन ग्रहण करने वालों की संख्या अधिक होने पर भी कभी भोजन की कमी नहीं होती है. कहा जाता कि इस दिन नीम करोली बाबा स्वयं इस भंडारे की देख रेख करते है और किसी भी चीज़ की कमी नहीं होने देते हैं. 

मान्यता है कि एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी. बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती शिप्रा नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया. उसे प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल गया तो वह जल घी में बदल गया. फिर कुछ देर बाद घी लाया गया तो बाबा जी ने कहा कि अब शिप्रा नदी को उनका घी वापिस कर आओ तो भक्तों ने वह घी नदी में बहा दिया.

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
कैंची धाम मेले के सकुशल और व्यवस्थित आयोजन के सम्बन्ध में बैठक हुई. इस दौरान आईजी कुमायूं श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा करते हुए कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए. उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल कैंची धाम में 15 जून 2025 को आयोजित होने वाले वार्षिक मेले को लेकर प्रशासनिक और पुलिस स्तर पर तैयारियां की गई हैं. इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को पहले से कहीं अधिक मजबूत किया गया है.

पहली बार मेले में आतंकवाद-निरोधक दस्ता (ATS) एवं सशस्त्र सीमा बल (SSB) की तैनाती की जा रही है. पीए. सिस्टम, ड्रोन और हाई-रिज़ॉल्यूशन CCTV से निगरानी रखी जा रही है. पुलिस महानिरीक्षक कुमायूं रेंज श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने कैंची धाम पहुंचकर समस्त व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया. अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. श्रद्धालुओं के जन सैलाब को देखते हुए उनकी सुविधा के लिए पहली बार बाबा जी का प्रसाद 15 जून से 18 जून तक वितरित होगा. मेले में पहली बार 3 जनपदों के पुलिस अधीक्षकों को भी तैनात किया गया है.

पुलिस ने जारी किया ट्रैफिक प्लान 
कैंची धाम में मेले के लेकर पुलिस ने ट्रैफिक प्लान जारी कर दिया है. नैनीताल-भीमताल- भवाली और कैंची धाम तक सड़क मार्ग में किसी भी प्रकार के भंडारे, फ़ूड वैन और ठेले वाले रहेंगे. ये मार्ग पूरी तरह से बंद रहेंगे. हल्द्वानी, भीमताल, नैनीबैंड, भवाली, नैनीताल और गरमपानी से शटल सेवा के माध्यम से ही कैंची धाम तक पहुंचा जा सकेगा. 

भवाली से आगे दोपहिया वाहन भी पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगे. श्रद्धालु शटल सेवा के माध्यम से ही धाम जा पाएंगे. बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग के लिए दो अतिरिक्त शटल सेवा लगाई गई हैं जो उन्हें मंदिर के गेट तक पहुंचाएंगी और वापस भी लाएंगी. हल्द्वानी से भीमताल शटल सेवा में करीब 100 छोटे-बड़े वाहन, भीमताल से कैंची 40, नैनीताल से सेनिटोरियम तक 50 छोटे-बड़े वाहन शटल सेवा में चलेंगे. इससे श्रद्धांलुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. जिलाधिकारी ने बताया कि कैंची धाम के समीप शार्ट कट मार्ग से आवाजाही पूर्ण रूप से बंद रहेगी.

लीला सिंह बिष्ट की रिपोर्ट.

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