
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भक्त गणपति बप्पा बप्पा की आराधना करते हैं. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से भक्त के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं.
संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की पूजा दिन में की जाती और रात में चंद्रमा भगवान को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है.इस साल आषाढ़ माह का संकष्टी चतुर्थी व्रत 14 जून 2025 दिन शनिवार को रखा जाएगा. संकष्ठी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना से हर तरह के संकट का नाश होता है. संतान प्राप्ति और संतान संबंधी समस्याओं का निवारण होता है. अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं. हर तरह के कार्यों की बाधा दूर होती है. धन और कर्ज संबंधी समस्याओं में सुधार होता है.
संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त
1. संकष्टी चतुर्थी का व्रत 14 जून 2025 को रखा जाएगा.
2. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए बन रहे कई शुभ मुहूर्त.
3. 14 जून को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:02 से 4:43 बजे तक रहेगा.
4. 14 जून को अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:54 से 12:49 बजे तक रहेगा.
5. 14 जून को निशीथ काल रात 12:01 से 12:42 बजे तक रहेगा.
6. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 7:07 से 8:52 बजे तक है.
बन रहे कई शुभ योग
1. इस बार संकष्टी चतुर्थी पर कई शुभ योग का संयोग बन रहा है.
2. ब्रह्म योग 14 जून को सुबह से लेकर दोपहर 1:13 बजे तक रहेगा.
3. ब्रह्म योग के बाद इंद्र योग शुरू होगा, जो रात तक रहेगा.
4. सर्वार्थ सिद्धि योग रात 12:22 से अगले दिन सुबह 5:23 बजे तक रहेगा.
5. चतुर्थी के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र मध्य रात्रि 12:22 बजे तक प्रभावी रहेगा.
6. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बाद श्रवण नक्षत्र आरंभ होगा.
कब होगा चंद्रोदय: 14 जून 2025 की रात 10:07 बजे चंद्रोदय होगा. इस समय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण यानी समापन कर सकते हैं. व्रत की पूर्णता के लिए चंद्र दर्शन और अर्घ्य देना अनिवार्य होता है.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
1. प्रातःकाल स्नान करके गणेश जी की पूजा का संकल्प लें.
2. पूजा स्थल को साफ करें और भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें.
3. इस दिन ॐ गं गणपतये नमः या ॐ भालचंद्राय नमः मंत्र का जाप करें.
4. अपनी क्षमता के अनुसार फलाहार या निर्जल व्रत करें.
5. शाम को प्रदोष काल या चंद्रमा के निकलने से पहले दोबारा स्नान करें.
6. संध्याकाल में भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें.
7. भगवान को तिल के लड्डू, दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें.
8. शाम को चंद्रोदय होने पर छत पर या खुले स्थान पर जाएं.
9. एक साफ लोटे में शुद्ध जल, कच्चा दूध, अक्षत और सफेद फूल डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें.
10. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण करें.
11. भगवान गणेश को चढ़ाए गए प्रसाद ग्रहण करें.
किसी भी तरह की बाथा दूर करने के लिए करें ये उपाय
1. पीले वस्त्र धारण करके भगवान गणेश के समक्ष बैठें.
2. उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं.
3. अपनी उम्र के बराबर लड्डू रखें. फिर एक-एक करके सारे लड्डू चढ़ाएं.
4. हर लड्डू के साथ "गं" कहते जाएं.
5. इसके बाद बाधा दूर करने की प्रार्थना करें. एक लड्डू स्वयं खा लें, बाकी बांट दें.