सावन का पवित्र महीना, कांवड़ यात्रा और शिवभक्ति की पराकाष्ठा... बिहार के मुंगेर जिले में इस बार एक ऐसी झलक देखने को मिली, जिसने न सिर्फ राहगीरों को हैरान किया, बल्कि भक्ति के मायने भी बदल दिए. जहां एक ओर 54 फीट लंबी कांवड़ लेकर शिवभक्तों का जत्था बाबा बैद्यनाथ की ओर रवाना हुआ, वहीं दूसरी ओर एक भक्त गुलाटी मारते हुए 105 किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकले हैं. यह दृश्य भक्तों की अटूट श्रद्धा और समर्पण की बेमिसाल तस्वीर पेश कर रहा है.
25 दिन में बनी 54 फीट की भव्य कांवड़
पटना जिले के मारुफगंज स्थित विशाल शिवधारी संघ के 500 से अधिक शिवभक्तों ने सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर देवघर के लिए यात्रा शुरू की है. इस संघ की सबसे खास बात है- 54 फीट लंबी विशाल कांवड़, जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है.
इस कांवड़ को तैयार करने में लगभग 25 दिन लगे हैं. कांवड़ पर देवघर के प्रसिद्ध शिव-पार्वती मंदिर की आकृति, माँ काली और माँ दुर्गा की प्रतिमाएं, शिव-पार्वती की मूर्ति, और सभी देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्ह बनाए गए हैं. इसके अलावा, कांवड़ में चांदी का मंदिर, चांदी की छतरी और 6 बड़े घड़े लगे हैं जिनमें कुल 50 लीटर गंगाजल भरा गया है. यह भव्य कांवड़ न केवल भक्तों के समर्पण को दर्शाता है, बल्कि उनकी कलात्मक सोच का भी परिचायक है.
संघ के अध्यक्ष विनोद बाबा ने बताया कि यह परंपरा पिछले 25 वर्षों से चली आ रही है. उन्होंने कहा, "मुझे एक स्वप्न आया था जिसमें मैंने देखा कि मैं कांवड़ लेकर चल रहा हूं और वह ज़मीन पर घिसट रही है. उसी दिन मैंने संकल्प लिया और यह 54 फीट लंबी कांवड़ बनवाई. तब से हर साल हम इतने ही घंटे में (54 घंटे में) देवघर पहुंचते हैं और बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पित करते हैं."
उन्होंने यह भी बताया कि पहले चार साल तक वे इस विशाल कांवड़ के साथ 'डाकबम' (तेज रफ्तार में बिना रुके जाने वाली यात्रा) करते थे, लेकिन एक बार उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्होंने धीरे-धीरे यात्रा करना शुरू किया.
गुलाटी मारते हुए 105 किलोमीटर की यात्रा
मुंगेर के कच्ची कांवड़िया पथ पर एक और अद्वितीय भक्त देखे गए- समस्तीपुर जिले के सुरेश प्रसाद सिंह. वे नंगे बदन, गुलाटी मारते हुए 105 किलोमीटर दूर देवघर की ओर बढ़ रहे हैं. उनका यह समर्पण न सिर्फ लोगों को आकर्षित कर रहा है, बल्कि राह चलते अन्य भक्तों और आम लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है.
सुरेश प्रसाद सिंह ने बताया कि उनकी कोई विशेष मन्नत नहीं है, यह कार्य वे पूरी श्रद्धा और खुशी से बाबा के लिए कर रहे हैं. उनका मानना है, “जब तक हम कुछ करेंगे नहीं, तब तक बाबा क्या देंगे?” यह उनका दूसरा साल है जब वे इसी तरह की कठिन यात्रा कर रहे हैं. उन्हें पूरा विश्वास है कि बाबा भोलेनाथ उनकी सेवा को स्वीकार करेंगे.
सुरेश का यह प्रयास यह दिखाता है कि सच्ची भक्ति दिखावे से नहीं, समर्पण से होती है. उन्होंने यह भी बताया कि वे पूरे 21 दिनों में देवघर पहुंचेंगे और बाबा पर जलाभिषेक करेंगे.
श्रद्धा, समर्पण और संकल्प का अनोखा संगम
कांवड़ यात्रा यूं तो हर साल हजारों शिवभक्तों द्वारा पूरी श्रद्धा से की जाती है, लेकिन मुंगेर से निकली ये दो तस्वीरें इस यात्रा को एक नए आयाम पर ले जाती हैं. एक तरफ जहां भक्तों का समूह 54 फीट लंबी कांवड़ के साथ निकलता है, वहीं दूसरी तरफ अकेला शिवभक्त गुलाटी मारते हुए हर कदम बाबा के चरणों की ओर बढ़ता है.
इस वर्ष कांवड़ यात्रा सिर्फ भक्ति नहीं, बल्कि आस्था की चरम सीमा को छू रही है. इन भक्तों ने यह साबित कर दिया कि शिव की उपासना में कोई मापदंड नहीं, कोई सीमा नहीं- बस सच्चा समर्पण और निष्ठा चाहिए.
(गोविंद कुमार की रिपोर्ट)