बीकानेर के देशनोक में बने करणी माता के मंदिर में चूहों को देवतुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती है. यहां के भक्त मानते हैं कि ये चूहे मां करणी की संतान हैं, जो यहां काबा के रूप में पूजे जाते हैं. इस मंदिर में सभी चूहों को 'काबा' कहा जाता है. लेकिन अगर किसी को सफेद चूहा नजर आ जाए तो समझ लो कि मां करणी की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी.
महाराज गंगासिंह जी जब भी आते थे, सफेद चूहे के दर्शन करने के बाद ही कोई कार्य शुरू करते थे. भक्तों का मानना है कि सफेद चूहे को देखना बहुत शुभ होता है और इससे मां करणी की कृपा प्राप्त होती है.
आस्था और मान्यता
भक्तों का मानना है कि ये चूहे मां करणी की संतान हैं और उनकी आज्ञा से भक्तों का उद्धार करते हैं. मंदिर में आने वाले भक्तों की समस्याओं का समाधान करने के लिए ये चूहे मां करणी के संदेशवाहक माने जाते हैं. भक्तों का कहना है कि सफेद चूहे के दर्शन से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
प्रसाद की महत्ता
इस मंदिर के प्रसाद की महत्ता भी बहुत अधिक है. मान्यता है कि जब तक मंदिर के चूहे यहां के प्रसाद और चरणामृत को ग्रहण नहीं करते, तब तक वो प्रसाद मां करणी को नहीं चढ़ाया जाता. इनके खाने के बाद ही प्रसाद को आशीर्वाद के रूप में माना जाता है. भक्तों का विश्वास है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से उनकी मन्नत अवश्य पूरी होती है.
चूहों की खुराक
इस मंदिर में चूहों की खुराक किसी पहलवान को दी जाने वाली खुराक जैसी होती है. यहां के चूहे घी, लड्डू, फल, देसी गायों का दूध, और अंकुरित अनाज खाते हैं. भक्तों का कहना है कि इन चूहों को पौष्टिक चीजें खिलाने से वे बहुत बड़े हो जाते हैं.
पुनर्जन्म की मान्यता
यहां की मान्यता है कि चरण समुदाय के लोग मरने के बाद चूहों के रूप में पुनर्जन्म लेते हैं. अच्छे कर्म करने वाला इंसान मां के दरबार में चूहा बनता है, जबकि बुरे कर्म करने वाला इंसान मंदिर परिसर में यहां- वहां भटकता रहता है. भक्तों का विश्वास है कि मां करणी की कृपा से ही उन्हें इस मंदिर में स्थान मिलता है.