Karwa Chauth 2025: 9 या 10 अक्टूबर, किस दिन रखा जाएगा करवा चौथ व्रत, जानें सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth: करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं सुख-सौभाग्य में वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस साल करवा चौथ का पर्व किस दिन मनाया जाएगा, क्या है पूजा विधि और व्रत का पारण कब किया जाएगा?

Karwa Chauth (File Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST
  • करवा चौथ का व्रत रखने से पति की आयु होती है लंबी 
  • वैवाहिक जीवन में प्रेम और बढ़ता है विश्वास 
  • परिवार में समृद्धि और सौभाग्य रहता है बना 

Karwa Chauth Shubh Muhurt: हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है. यह व्रत करवा माता को समर्पित होता है. इस दिन विवाहित महिलाएं सुख-सौभाग्य में वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं. 

करवा चौथ व्रत में किसकी करते हैं पूजा
करवा चौथ व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और भगवान गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. रात को चंद्रदर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

किस दिन रखा जाएगा करवा चौथ का व्रत 
हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का शुभारंभ 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से होगा और इसका समापन 10 अक्टूबर की शाम 07:38 बजे होगा. हिंदू धर्म में कोई भी व्रत या त्योहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 05:57 बजे से 07:11 बजे तक रहेगा. करवा चौथ व्रत का समय 10 अक्टूबर को सुबह 06:19 बजे से रात 08:13 तक रहेगा. चंद्रोदय का समय रात 08:13 बजे है.

क्या है करवा चौथ की सरगी
इस दिन सुहागिनें 16 शृंगार करती हैं और पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. इसके अलावा, इस दिन बहु द्वारा अपनी सास को सरगी देने की भी परंपरा है. सरगी के जरिए सास अपनी बहू को सुहाग का आशीर्वाद देती है. सरगी की थाल में 16 शृंगार की सभी समाग्री, मेवा, फल, मिष्ठान आदि होते हैं. सरगी में रखे गए व्यंजनों को ग्रहण करके ही इस व्रत का आरंभ किया जाता है. सास न हो तो जेठानी या बहन के जरिए भी ये रस्म महिलाएं निभा सकती हैं.

व्रत खोलने की विधि
पूजा समाप्त होने के बाद चंद्रोदय का इंतजार करें. जब चांद निकल आए तो एक छलनी में दीपक रखकर उसके माध्यम से चंद्रमा के दर्शन करें. इसके बाद उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखें. चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपने पति की लंबी आयु की कामना करें. अंत में पति के हाथों से जल पीकर और मिठाई खाकर अपना व्रत तोड़ें. व्रत पूजन के पश्चात बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना न भूलें. उनका आशीर्वाद ही भगवान के आशीर्वाद का रुप है.

करवा चौथ पूजा सामग्री
करवा, पूजा की थाली, छलनी, करवा माता का फोटो, सींक, जल, मिठाई, सुहाग की सभी चीजें, फूल, माला, दीपक, रोली, सिंदूर, मेहंदी, कलावा, चंदन, हल्दी, अगरबत्ती, नारियल, अक्षत और घी.

करवा चौथ पूजा विधि
1. करवा चौथ के दिन स्नान आदि के बाद करवा चौथ व्रत और चौथ माता की पूजा का संकल्प लेते हैं. 
2. फिर अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है. 
3. पूजा स्थल पर भगवान शिव, मां पार्वती, भगवान कार्तिकेय और गणेश की स्थापना करें. 
4. इसके बाद चौथ माता फोटो रखें और पूजा की जगह पर मिट्टी का करवा रखते हुए सभी देवी-देवताओं आह्वान करते हुए पूजा शुरू करें.
5. करवे में पानी भरकर उसमें सिक्का डालकर उसे लाल कपड़े से ढक दें. 
6. पूजा की थाली में सभी शृंगार की सामग्रियों को एकत्रित करके एक साथ सभी महिलाएं करवा माता की आरती और कथा सुनें. 
7. महिलाएं सोलह शृंगार कर शाम को भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कर्तिकेय, गणेश और चंद्रमा का विधिपूर्वक पूजन करते हुए नैवेद्य अर्पित करें. 
8. रात्रि के समय चंद्रमा का दर्शन करके चंद्रमा से जुड़े मंत्रों को पढ़ते हुए अर्घ्य दें.

 

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