Lalbaugcha Raja 2025: महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की धूम! सामने आई लालबागचा राजा की पहली झलक, जानिए इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

मुंबई के लालबागचा राजा की स्वरूप बेहद आकर्षण होता है. गणेश उत्सव से पहले लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आई है. लालबागचा राजा के प्रथम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू हो रहा है.

Mumbai Lalbaugcha Raja (Photo Credit: PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:45 PM IST
  • पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम
  • लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आई

पूरे देश में गणेश उत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. 27 अगस्त को बप्पा पधारेंगे. पूरे देश में मुंबई का गणेश उत्सव सबसे भव्य माना जाता है. मुंबई में गणेश चतुर्थी से पहले लालबागचा राजा की पहली झलक सामने आई है. गणपति का मनमोहक स्वरूप देखने के लिए भारी संख्या में भक्त उमड़ पड़े. लालबागचा राजा के पहले दर्शन हर कोई देखना चाहता है. आखिरकार मुंबई में 24 अगस्त को भक्तों का इंतजार खत्म हो गया.

कैसा है लालबागचा राजा का स्वरूप ?

मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा की पहली झलक गणेश चतुर्थी से दो दिन पहले सामने आई है. भक्तों की भारी भीड़ ने भगवान गणेश के दर्शन और पूजन किए. इस बार गणपति बप्पा स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान है. उनके हाथों में चक्र और शंख हैं. बप्पा ने लाल वस्त्र धारण किए हैं. भक्त इस मनमोहक श्रृंगार को देखकर भावुक हो गए. इस बार गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू होगा और 10 दिनों तक चलेगा.

सनातन धर्म में गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है. विवाह, यज्ञ या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में उनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है. इसकी भी एक वजह है कि गणेश जी विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं. गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा है कि शिव-पार्वती विवाह में भी गणेश जी की पूजा हुई थी. यह दर्शाता है कि गणेश जी अनादि हैं और उनका महत्व हर युग में बना रहता है.

गणपति के स्वरूप से संदेश

गणेश जी का स्वरूप न केवल धार्मिक बल्कि जीवन के गहरे संदेश भी देता है. उनके चरित्र से हमें अहंकार से मुक्त होने और विवेकपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है. रामचरितमानस के बालकांड में माँ सीता ने स्वयंवर के दौरान गणेश जी का ध्यान कर भगवान राम के लिए धनुष का भार कम करने की प्रार्थना की थी. यह प्रसंग गणेश जी की महिमा को और भी गहराई से समझाता है.

गणेश जी का संदेश है कि ज्ञान का अहंकार नहीं होना चाहिए. उनके स्वरूप से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में अहंकार सबसे बड़ा विघ्न है. गणेश जी बुद्धि और विवेक के देवता हैं. उनकी पूजा हमें सरलता, विचारशीलता, और कर्तव्यपरायणता की ओर प्रेरित करती है. मुंबई में लालबागचा राजा की पहली झलक ने गणेश चतुर्थी के उत्सव की शुरुआत को भक्तिमय बना दिया है. गणपति बप्पा की महिमा और उनका संदेश हर युग में प्रासंगिक है.

क्यों खास हैं लालबागचा राजा?

  • लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल की स्थापना साल 1934 में मुंबई के लालबाग में हुई थी. उस समय लालबाग में फिश मार्केट था जिसे बंद कर दिया गया. 
  • लोगों ने भगवान गणेश की स्थापना कर बप्पा से प्रार्थना की कि उन्हें स्थायी काम और रोजगार मिले. धीरे-धीरे यह मंडल इच्छा पूरी करने वाले बप्पा के रूप में लोकप्रिय हो गया. 
  • आज यह मुंबई का सबसे प्रसिद्ध गणेश पंडाल है जहां हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
  • लालबागचा राजा को मन्नत के राजा कहा जाता है, क्योंकि भक्त यहां आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. 
  • गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माना जाता है, और यह पंडाल धार्मिक श्रद्धा का प्रमुख प्रतीक है.
  • लालबागचा राजा के दरबार में गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष पूजा, आरती और प्रसाद वितरण होता है.

लाल बागचा राजा की मूर्ति अपने शाही स्वरूप, आभूषणों और शान के लिए मशहूर है. मुंबई के लालबागचा राजा का यह पंडाल मुंबई की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है. यहां हर वर्ग और धर्म के लोग आते हैं जो एकता और सामूहिकता का प्रतीक है. समाज में जरूरतमंदों की सहायता और दान के लिए भी यह मंडल कार्य करता है.

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